प्रवीर रंजन बने सीआईएसएफ के नए डीजी, आधुनिकीकरण और पारदर्शिता पर जोर

New Delhi, 30 सितंबर . केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को नया नेतृत्व मिल गया है. वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी प्रवीर रंजन ने Tuesday को औपचारिक रूप से सीआईएसएफ के 32वें महानिदेशक का कार्यभार संभाला. सीआईएसएफ मुख्यालय में आयोजित गरिमामय समारोह में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने बल के वरिष्ठ अधिकारियों से संवाद किया.

1993 बैच के एजीएमयूटी कैडर के अधिकारी प्रवीर रंजन अप्रैल 2024 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. अब तक वे सीआईएसएफ में विशेष महानिदेशक (एयरपोर्ट सुरक्षा) के रूप में कार्यरत थे और देशभर के संवेदनशील हवाई अड्डों की सुरक्षा व्यवस्था का नेतृत्व कर रहे थे. 32 वर्षों के अपने करियर में रंजन ने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं.

दिल्ली Police में स्पेशल Police आयुक्त (क्राइम व ईओडब्ल्यू), सीबीआई में डीआईजी और चंडीगढ़ में Police महानिदेशक (2022-24) के रूप में वे अपनी कार्यकुशलता साबित कर चुके हैं. सीआईएसएफ में पदभार ग्रहण करने से पहले वे एडीजी के पद पर भी रहे. शैक्षणिक दृष्टि से भी वे बेहद योग्य हैं.

उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में परास्नातक, उस्मानिया विश्वविद्यालय से Police प्रबंधन में मास्टर, सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी एवं हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पब्लिक मैनेजमेंट में मास्टर तथा राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, New Delhi से एलएलएम की उपाधि प्राप्त की है. उनकी सेवाओं को देखते हुए उन्हें 2009 में President Police पदक (मेधावी सेवा) तथा 2016 में President Police पदक (विशिष्ट सेवा) से सम्मानित किया गया था.

पदभार संभालने के बाद अपने प्रथम संबोधन में प्रवीर रंजन ने बल को भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप तैयार करने की प्रतिबद्धता दोहराई. उन्होंने कहा कि सीआईएसएफ को आधुनिकीकरण, कल्याणकारी दृष्टिकोण और पारदर्शी प्रशासन के सहारे और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा.

उन्होंने Prime Minister और गृह मंत्रालय द्वारा दिए गए निर्देशों को प्राथमिकता से लागू करने का आश्वासन भी दिया. सुरक्षा और Policeिंग के क्षेत्र में उनके अनुभव और शैक्षणिक गहराई को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि प्रवीर रंजन के नेतृत्व में सीआईएसएफ देश की महत्वपूर्ण स्थापनाओं की सुरक्षा को नई दिशा और मजबूती देगा. उनके कार्यकाल में बल से अपेक्षा है कि वह भविष्य की चुनौतियों से निपटने, राष्ट्रीय लक्ष्यों की पूर्ति करने और नए मील के पत्थर स्थापित करने में सक्षम होंगे.

जीसीबी/एसके