प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना ने बदल दी कई परिवारों की तकदीर, ग्वालियर के हितग्राही हुए आत्मनिर्भर

ग्वालियर, 1 अप्रैल . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार गरीब और पिछड़े वर्ग के लिए कई जनकल्याणकारी योजनाएं चला रही है. इनमें से प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना उन लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है, जो अपने पारंपरिक कार्यों के जरिए आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं. इस योजना के तहत मध्य प्रदेश सरकार ने हजारों जरूरतमंद परिवारों को लाखों रुपये का ऋण स्वीकृत किया है, जिससे वे अपने रोजगार को मजबूती दे सकें और एक खुशहाल जीवन जी सकें.

ग्वालियर जिले में भी इस योजना के तहत सैकड़ों लाभार्थियों को सहायता दी गई है. यह योजना खासकर उन लोगों के लिए मददगार साबित हो रही है, जो गरीब और पिछड़े वर्ग से आते हैं और अपने परिवार का ठीक से भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं थे. लेकिन अब हालात बदल गए हैं, क्योंकि इस योजना का लाभ उठाकर ये लोग आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत ऋण प्राप्त करने वाले ग्वालियर के अभिषेक अग्रवाल ने इस योजना का लाभ उठाकर अपनी किस्मत बदल ली. उन्होंने बताया, “मैंने शुरुआत में सिर्फ 10,000 रुपये का लोन लिया था, जिससे मैंने कपड़े का व्यापार शुरू किया. धीरे-धीरे मेरा व्यापार बढ़ता गया और अब यह बड़े स्तर पर पहुंच चुका है. लोन की राशि भी समय के साथ बढ़ती गई और आज मुझे अपने परिवार के पालन-पोषण में कोई दिक्कत नहीं होती. इस योजना ने मुझे रोजगार का नया अवसर दिया और अब मैं आत्मनिर्भर बन चुका हूं.”

अभिषेक अग्रवाल की तरह, कई अन्य लोग भी इस योजना का लाभ लेकर अपने सपनों को साकार कर रहे हैं.

इसी योजना के एक और लाभार्थी नितिन गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार का आभार जताते हुए कहा, “पहले मैं बेरोजगार था और अपने परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ था, लेकिन जब मुझे प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत ऋण मिला, तो मैंने ग्वालियर के महाराज बाड़े पर बड़े व्यापारियों के साथ मिलकर अपना खुद का व्यापार शुरू किया. इस ऋण ने मेरी पूरी जिंदगी बदल दी. आज मैं अच्छी कमाई कर रहा हूं और अपने परिवार को एक अच्छा जीवन देने में सक्षम हूं.”

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक सहायता देकर आत्मनिर्भर बनाना है. इस योजना के तहत बढ़ई, लोहार, कुम्हार, दर्जी, जूता-चप्पल निर्माता, बुनकर, राजमिस्त्री, मूर्तिकार और अन्य पारंपरिक कार्य करने वाले लोगों को प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और आधुनिक उपकरणों की सुविधा दी जाती है, जिससे वे अपने काम को बेहतर बना सकें.

डीएससी/