‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ मत्स्य पालन क्षेत्र को आर्थिक रूप से सक्षम और समावेशी बना रही

New Delhi, 10 सितंबर . मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत मत्स्य पालन विभाग ने Wednesday को Prime Minister मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के पांच वर्ष पूरे होने के अवसर पर देश की अर्थव्यवस्था, पोषण और सस्टेनेबिलिटी के लक्ष्यों में योजना के महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया.

पीएमएमएसवाई के समग्र परिवर्तन का जश्न मनाते हुए मत्स्य पालन विभाग ने social media प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि कटिंग एज टेक्नोलॉजी को अपनाने से लेकर प्रथाओं को आधुनिक बनाने और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने तक, योजना ने समुदायों को सशक्त बनाया है और आजीविका को मजबूत किया है.

विभाग ने एक पोस्ट में लिखा, “इस योजना का योगदान तटों पर जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन बढ़ाने, उत्पादकों को उपभोक्ताओं से जोड़ने के लिए बाजार और लॉजिस्टिक्स को सुव्यवस्थित करने और रोजगार बढ़ाने वाले क्लस्टर-बेस्ड विकास को बढ़ावा देने के रूप में अहम रहा है.”

Prime Minister मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) की शुरुआत 10 सितंबर 2020 को की गई थी. योजना को 20,050 करोड़ रुपए के कुल निवेश के साथ स्वीकृति दी गई थी. इसमें 2020-21 से 2024-25 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए केंद्र सरकार से मिले 9,407 करोड़ रुपए, State government ों से मिले 4,880 करोड़ रुपए और लाभार्थियों के योगदान के रूप में 5,763 करोड़ रुपए शामिल हैं.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 22 जुलाई 2025 तक मत्स्य पालन विभाग ने Prime Minister मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत 21,274.16 करोड़ रुपए की मत्स्य विकास परियोजनाओं को स्वीकृति दी है.

यह योजना पिछले पांच वर्षों से मत्स्य पालन क्षेत्र को पारिस्थितिक रूप से दुरुस्त, आर्थिक रूप से सक्षम और सामाजिक रूप से समावेशी बनाने की दिशा में काम कर रही है. योजना उत्पादन और उत्पादकता, गुणवत्ता, नई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल और पैदावार के बाद इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े अंतरों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.

भारत 2024-25 में 195 लाख टन मत्स्य उत्पादन के साथ इस क्षेत्र में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है. फरवरी, 2025 तक मत्स्यपालन की उत्पादकता में 3 से 4.7 टन प्रति हेक्टेयर के राष्ट्रीय औसत से वृद्धि हुई है. दिसंबर, 2024 तक 55 लाख के लक्ष्य को पार करते हुए रोजगार के 58 लाख अवसर सृजित किए गए.

पीएमएमएसवाई से मात्र पांच वर्षों में 195 लाख टन का रिकॉर्ड मछली उत्पादन हुआ है. साथ ही, 58 लाख आजीविका सृजन, 99,018 महिलाओं के सशक्तीकरण और जलवायु के अनुकूल, बाजार के लिए तैयार वैल्यू चेन का निर्माण करने के उद्देश्य में बदलाव आया है.

इस योजना ने पूरे क्षेत्र में समावेशी विकास, आजीविका के अवसर और तकनीकी परिवर्तन को सुनिश्चित करते हुए वैश्विक मत्स्य पालन में भारत की भूमिका को मजबूत किया है.

पीएमएमएसवाई अपनी रिकॉर्ड उपलब्धियों और दूरदर्शी पहलों के साथ स्थायी और बेहतर भविष्य की ओर ‘नीली क्रांति’ को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया जारी रखे हुए है.

एसकेटी/