यूपी में नजूल बिल पर सियासत गरमाई, अखिलेश यादव बोले – ‘यह घर उजाड़ने का फैसला’

लखनऊ, 2 अगस्त . उत्तर प्रदेश विधान परिषद में नजूल भूमि बिल के लंबित होने के बाद भी यूपी की राजनीति का पारा चढ़ा हुआ है. इसे लेकर सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर बड़ा हमला बोला. उन्होंने भाजपा पर भू-माफियाओं के लिए आम जनता को बेघर करने का आरोप लगाया.

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “नजूल लैंड का मामला पूरी तरह से ‘घर उजाड़ने’ का फ़ैसला है, क्योंकि बुलडोजर हर घर पर नहीं चल सकता. भाजपा घर-परिवार वालों के खिलाफ है. जनता को दुख देने में भाजपा अपनी खुशी मानती है. जब से भाजपा आई है, तब से जनता रोजी-रोटी-रोजगार के लिए भटक रही है, और अब भाजपाई मकान भी छीनना चाहते हैं.”

उन्होंने आगे लिखा, “कुछ लोगों के पास दो जगह का विकल्प है, हर एक के पास उनके जैसा नहीं है. बसे-बसाए घर उजाड़कर भाजपा वालों को क्या मिलेगा. क्या भूमाफिया के लिए भाजपा जनता को बेघर कर देगी? अगर भाजपा को लगता है कि उनका फैसला सही है तो हम डंके की चोट पर कहते हैं, अगर हिम्मत है तो इसे पूरे देश में लागू करके दिखाएं क्योंकि नजूल लैंड केवल यूपी में ही नहीं, पूरे देश में है. सपा की यह मांग है कि अमानवीय ‘नजूल जमीन बिल’ हमेशा के लिए वापस हो.”

उल्लेखनीय है कि एक अगस्त को विधानसभा में ‘उप्र नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध व उपयोग) विधेयक-2024’ विपक्ष के कड़े विरोध और हंगामे के बीच पारित हुआ. लेकिन, बिल विधान परिषद में लंबित हो गया है. भाजपा के एमएलसी भूपेंद्र चौधरी के प्रस्ताव पर विधेयक को प्रवर समिति को भेज दिया गया.

विधानसभा में बुधवार को पक्ष-विपक्ष के कई सदस्यों के विरोध के बीच विधेयक पारित हो गया था. विधान परिषद में नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य ने नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक (जैसा विधानसभा में संशोधनों सहित पारित हुआ था) प्रस्तुत किया. उनके तत्काल बाद भूपेंद्र चौधरी ने खड़े होकर सभापति से इस विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने का आग्रह किया. विधानसभा में भाजपा के विधायकों ने भी बिल का विरोध किया था.

‘उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति विधेयक-2024’ के अनुसार, उत्तर प्रदेश में स्थित नजूल भूमियों का निजी व्यक्ति या निजी संस्था के पक्ष में पूर्ण स्वामित्व के रूप में प्रतिवर्तन (हक) नहीं किया जाएगा. नजूल भूमि के पूर्ण स्वामित्व परिवर्तन संबंधी किसी भी न्यायालय की कार्यवाही या प्राधिकारी के समक्ष आवेदन निरस्त हो जाएंगे और अस्वीकृत समझे जाएंगे.

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