चंडीगढ़, 25 अगस्त . Haryana विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन जलभराव के मुद्दे ने सियासी हलचल तेज कर दी. पूर्व Chief Minister भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस विषय पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए सरकार को घेरा और कहा कि प्रदेश में जलभराव से हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो चुकी है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है.
भूपेंद्र हुड्डा ने सरकार की ओर से दिए गए जवाब को अतिसाधारण और असंतोषजनक करार देते हुए कहा, “फसलों के नुकसान के साथ-साथ किसान की अगली फसल भी बर्बाद हो जाएगी. सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए था, लेकिन Chief Minister ने न तो मुआवजे की राशि बताई और न ही यह स्पष्ट किया कि कितने दिनों में मुआवजा मिलेगा.”
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या सरकार स्पेशल गिरदावरी (विशेष सर्वेक्षण) कराएगी या नहीं? हुड्डा ने कहा, “यह सरकार का दायित्व है कि किसानों को राहत पहुंचाए, लेकिन विधानसभा में सिर्फ तसल्ली देने वाले जवाब दिए गए, कोई ठोस योजना सामने नहीं आई.”
जब विधानसभा में 1984 के सिख दंगा पीड़ितों को नौकरी देने की बात उठी, तो भूपेंद्र हुड्डा ने कहा, “कांग्रेस की सरकार ने भी पहले नौकरी दी थी. यह कोई नई बात नहीं है.”
इस मुद्दे पर राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने से बातचीत में कहा, “Haryana में जलभराव की स्थिति बेहद भयावह बन चुकी है और इसके लिए पूरी तरह से State government जिम्मेदार है. पिछले सालों से लेकर आज तक सरकार ने जलभराव की समस्या को हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया.”
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों में एक भी नई ड्रेन या नहर नहीं बनाई गई, जिससे हालात और भी खराब होते जा रहे हैं. उन्होंने कहा, “हर जिले में सैकड़ों गांव जलभराव से पीड़ित हैं, लेकिन सरकार के पास कोई कार्ययोजना नहीं है.”
दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्य की कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा, “Haryana में कानून व्यवस्था पूरी तरह से गायब है. Chief Minister का नाम है नायब, लेकिन कानून व्यवस्था गायब है.”
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वीकेयू/डीकेपी