मुंबई, 29 जून . विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का भारत में राजनीतिक स्थिरता और तेजी से बढ़ी खुदरा खरीदारी की वजह से भरोसा बढ़ा है और वह भारत में खरीदार बनने के लिए मजबूर हो रहे हैं. शनिवार को बाजार पर नजर रखने वालों ने इस बात को जोर देकर कहा.
जून में इक्विटी में एफपीआई ने 26,565 करोड़ रुपये का निवेश किया है जो पिछले दो महीनों में उनकी रणनीति के बिल्कुल उलट है. क्योंकि इन दो महीनों में खरीदारी से ज्यादा बेचने पर जोर रहा था.
बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को एहसास हो गया है कि सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले बाजार में बिकवाली करना गलत रणनीति होगी.
उन्होंने कहा, “विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की खरीदारी बनी रह सकती है, बशर्ते अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में कोई तेज बढ़ोतरी न हो.”
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के जून के पहले पखवाड़े के आंकड़ों से साफ पता चलता है कि रियल्टी, टेलीकॉम और वित्तीय क्षेत्रों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के द्वारा खरीदारी की जा रही है.
एफपीआई आईटी, धातु, तेल एवं गैस में विक्रेता थे और उनके द्वारा वित्तीय क्षेत्र में खरीदारी जारी रहने की संभावना है.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ वी के विजयकुमार के अनुसार, जेपी मॉर्गन बॉन्ड इंडेक्स में भारत का समावेश निश्चित रूप से सकारात्मक है.
उन्होंने कहा ”2024 के लिए अब तक ऋण प्रवाह 68,674 करोड़ रुपये है. लंबी अवधि में, इससे सरकार के लिए उधार लेने की लागत कम हो जाएगी और कॉरपोरेट्स के लिए पूंजी की लागत कम हो जाएगी. यह इसलिए अर्थव्यवस्था और इक्विटी बाजार के लिए सकारात्मक है.”
एफपीआई वहां बेच रहे हैं जहां इसकी कीमत अधिक है और जहां इसकी कीमत उचित है वहां खरीदी कर रहे हैं. ऐसे में विश्लेषकों का मानना है कि वर्तमान में भारतीय इक्विटी बाजार के उच्च मूल्यांकन के कारण एफपीआई प्रवाह बाधित रहेगा.
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