पाकिस्तान में राजनीतिक घमासान, सरकार ने राज्य विरोधी दुष्प्रचार के लिए पीटीआई नेताओं को किया तलब

इस्लामाबाद, 17 मार्च . पाकिस्तान में एक बड़े राजनीतिक घमासान में, संघीय सरकार द्वारा गठित संयुक्त जांच दल (जेआईटी) ने इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के 16 सदस्यों को फिर से समन जारी किया. इन्हें सोशल मीडिया पर नकारात्मक प्रचार फैलाने के आरोपों पर 18 मार्च को पेश होने के लिए कहा गया.

जेआईटी ने दावा कियाकि उसने राज्य विरोधी प्रचार में कथित भूमिका के लिए पीटीआई सदस्यों के खिलाफ जांच की.

एआरवाई न्यूज ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पीटीआई संस्थापक इमरान खान की बहन अलीमा खानम को 19 मार्च को पेश होने के लिए एक और नोटिस जारी किया गया.

इससे पहले, बलूचिस्तान में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन पर हुए हमले के बारे में नेशनल असेंबली में बोलते हुए पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हमले का कथित रूप से ‘राजनीतिकरण’ करने और सोशल मीडिया पर स्थिति की गलत व्याख्या करने के लिए पीटीआई की आलोचना की.

दूसरी ओर, पीटीआई सांसद और पूर्व नेशनल असेंबली स्पीकर असद कैसर ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में सरकार के रवैये की आलोचना की. उन्होंने तर्क दिया कि रक्षा मंत्री को राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में शामिल होने के बजाय जाफर एक्सप्रेस हमले के बारे में सदन को जानकारी देनी चाहिए.

पाकिस्तान के प्रमुख दैनिक डॉन ने सांसद के हवाले से कहा, “ऐसा लगता है कि मंत्री के दिमाग में राष्ट्रीय सुरक्षा से ज्यादा पीटीआई और सोशल मीडिया है. आसिफ को नैतिक साहस दिखाना चाहिए और गंभीर सुरक्षा चूक के लिए इस्तीफा दे देना चाहिए.”

कैसर ने बलूच नेताओं के साथ किए जा रहे व्यवहार पर भी सवाल उठाए, सरदार अख्तर मेंगल और आदिल बाजई की गिरफ्तारियों और उनके ख़िलाफ़ की गई कानूनी कार्रवाइयों का ज़िक्र किया. उन्होंने कहा, “देश में संविधान, कानून और संस्थाओं के लिए सम्मान नहीं है.”

जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के एक्स अकाउंट पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा गया, “खुफिया एजेंसियों की प्राथमिक भूमिका सीमाओं की रक्षा करना और आतंकवाद का मुकाबला करना है. अगर वे राजनीतिक इंजीनियरिंग और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को खत्म करने के प्रयासों में व्यस्त रहेंगे, तो सीमाओं की सुरक्षा कौन करेगा? बलूचिस्तान में आतंकवाद फैल रहा है, फिर भी इस मुद्दे का कोई राजनीतिक समाधान नहीं खोजा जा रहा है. जब तक बलूचिस्तान सहित पूरे देश में जनता के भरोसे पर आधारित सरकार स्थापित नहीं हो जाती, तब तक स्थिरता संभव नहीं होगी.”

रविवार को देश में बढ़ते आतंकवाद के मुद्दे पर बोलते हुए पीटीआई नेता और खैबर-पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने संघीय सरकार के सुरक्षा प्रबंधन पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “आज मैं खुले तौर पर कहता हूं कि आतंकवाद का फिर से उभरना सत्ता में बैठे अधिकारियों की नाकामी और संघीय सरकार और संस्थानों की अक्षमता का नतीजा है.”

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