ढाका, 28 जुलाई . बांग्लादेश की राजधानी ढाका की एक अदालत ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश एबीएम खैरुल हक की गिरफ्तारी पर सुनवाई के दौरान न्यायिक कार्य में बाधा डालने के मामले में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
स्थानीय अखबार द डेली इत्तेफाक की रिपोर्ट के अनुसार, ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (डीएमपी) के क्राइम, सूचना और अभियोजन विभाग के उप पुलिस आयुक्त (डीसी) तारेक जुबैर को 30 जुलाई तक स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया गया है. यह आदेश ढाका के अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट मो. सनाउल्लाह ने दिया.
अदालत के आदेश के मुताबिक, पूर्व मुख्य न्यायाधीश खैरुल हक को 24 जुलाई को ढाका के जत्राबाड़ी थाने में दर्ज हत्या के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था. मामले की सुनवाई के लिए मजिस्ट्रेट सनाउल्लाह को जिम्मेदारी सौंपी गई थी. उसी शाम डीसी तारेक जुबैर ने मजिस्ट्रेट को उनके मोबाइल पर कॉल कर सुनवाई की कार्यवाही बाहर ही करने का आग्रह किया, जबकि आरोपी को कोर्ट बिल्डिंग के नीचे ही एक जेल वैन में रखा गया था.
हालांकि, मजिस्ट्रेट ने अदालत की गरिमा बनाए रखने और न्यायिक प्रक्रिया पर कोई सवाल न उठे, इसलिए यह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया. जब आरोपी को कोर्ट में पेश करने में देरी हुई तो मजिस्ट्रेट ने डीसी से फोन कर पूछा कि इसमें और कितना समय लगेगा. इस पर डीसी ने न केवल समय बताने से इनकार कर दिया, बल्कि मजिस्ट्रेट को सलाह दी कि वे डीएमपी के सलाहकार या आयुक्त से बात करें.
अदालत ने आदेश में कहा कि डीसी का यह व्यवहार न केवल असहयोगात्मक था बल्कि न्यायालय की अवमानना के समान भी था, क्योंकि वे मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के न्यायिक अधिकार क्षेत्र में आते हैं.
इस पर अदालत ने कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों न इस मामले को Supreme court के रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से चीफ जस्टिस को भेजा जाए ताकि न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई शुरू की जा सके.
उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश खैरुल हक को उनके ढाका स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया था, लेकिन पुलिस ने गिरफ्तारी के पीछे कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया था.
इससे पहले, अवामी लीग पार्टी ने खैरुल हक की गिरफ्तारी की निंदा की थी और इसे मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार द्वारा की जा रही “लगातार दमनकारी कार्रवाई” का हिस्सा बताया था.
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