झारखंड में चुनाव के दौरान सुरक्षा के लिए पुलिस ने ‘जीरो रिस्क प्रिंसिपल’ की रणनीति बनाई

रांची, 1 अप्रैल . झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों में लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने के लिए पुलिस और सुरक्षाबलों को ‘जीरो रिस्क प्रिंसिपल’ के आधार पर तैयार किया जा रहा है. असुरक्षा की आशंका वाले मतदान केंद्रों के लिए अभी से पर्याप्त सुरक्षा बलों की तैनाती की प्रैक्टिस कराई जा रही है.

लोकसभा चुनाव के लिए राज्य पुलिस नोडल पदाधिकारी एवी. होमकर ने जिलों के पूर्व के अनुभव के आधार पर चिन्हित मतदान केंद्रों पर कड़ी निगरानी और जरूरी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है.

उन्होंने कहा कि पोलिंग पार्टी, ईवीएम, मतदाता सहित चुनाव सामग्री, उपकरण एवं सभी की सुरक्षा आवश्यक है. शैडो एरिया के लिए वैकल्पिक संचार माध्यम को सुदृढ़ किया जा रहा है. हम ‘जीरो रिस्क प्रिंसिपल’ पर चुनाव संपन्न कराने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.

बता दें कि झारखंड के 24 जिलों में से आठ जिले अति नक्सल प्रभावित हैं. सबसे ज्यादा चुनौती इन्हीं जिलों में है. 2019 के लोकसभा चुनाव में रांची, गुमला, लोहरदगा, पलामू, सरायकेला, लातेहार और चाईबासा में माओवादियों ने घटनाओं को अंजाम दिया था. इस बार भी चाईबासा में कुछ जगहों पर नक्सलियों ने चुनाव बहिष्कार के पोस्टर लगाए हैं. हालांकि, झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ की ओर से सभी संवेदनशील इलाकों में लगातार लॉन्ग रेंज पेट्रोलिंग की जा रही है.

नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान का ही नतीजा है कि वर्ष 2019 में जहां 13 जिले अति नक्सल प्रभावित थे, वहीं इस बार ऐसे जिलों की संख्या घटकर आठ हो गई है. इनमें चतरा, लातेहार, लोहरदगा, गुमला, खूंटी, सरायकेला, पश्चिम सिंहभूम और गिरिडीह जिले शामिल हैं.

एसएनसी/एबीएम