जाति आधारित सर्वे पर प्रस्ताव दिखावा है : के. कविता

हैदराबाद, 17 फरवरी . भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता ने राज्य में जाति आधारित जनगणना कराने के लिए तेलंगाना विधानसभा में पारित प्रस्ताव को दिखावा करार दिया.

कविता ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह प्रस्ताव पेश किया है. सरकार ओबीसी के लिए राजनीतिक आरक्षण प्रदान करने में ईमानदार नहीं है. उन्होंने पूछा कि वह जाति आधारित जनगणना के लिए विधेयक क्यों नहीं लाती?

कविता ने आगे कहा कि कांग्रेस ने शुक्रवार को विधानसभा में प्रस्ताव रखकर सबसे निष्ठाहीन प्रयास किया. यह ओबीसी वर्ग के प्रति कांग्रेस सरकार की निष्ठाहीनता को दर्शाता है. ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. संकल्प एक दिखावा है. यह काम नहीं करेगा. यह कहीं भी अदालत में टिक नहीं पाएगा और सरकार को सर्वे करने का अधिकार नहीं देगा.

यदि कांग्रेस सरकार ईमानदार है तो उसे बिहार, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश की तर्ज पर विधानसभा में एक विधेयक लाना चाहिए.

देशभर से जाति आधारित जनगणना की मांग उठ रही है. बीआरएस पार्टी पूरी तरह से मांग का समर्थन करती है. कविता ने दावा किया कि बीआरएस की मांग और लोगों के दबाव के बाद ही सरकार ने एक प्रस्ताव पारित किया.

हालांकि, इससे समस्या का समाधान नहीं होगा. इसके लिए विधेयक लाना चाहिए, बजट आवंटित करना चाहिए और पूरी प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से पूरा करना चाहिए.

उन्होंने उल्लेख किया कि विधानसभा में बीआरएस और अन्य सभी दलों ने सरकार से जनगणना कराने के लिए विधेयक की मांग की और इसके लिए अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया.

कविता ने आरोप लगाया कि सरकार लोगों और सरकार के विकास के लिए सकारात्मक और ठोस कदम उठाने के बजाय ध्यान भटकाने वाली राजनीति कर रही है.

समाधान के बजाय विधेयक की मांग से ध्यान भटकाने के लिए सरकार ने सिंचाई परियोजनाओं पर श्वेतपत्र पेश किया.

उन्होंने जो वादे किए थे, उन्हें लागू नहीं कर रहे हैं. वे ध्यान भटकाने वाली रणनीति के तहत कुछ न कुछ ला रहे हैं.

एफजेड/एबीएम