भागलपुर, 8 मई . बिहार के भागलपुर के शाहकुंड प्रखंड के जित्टिया गांव की नीलू कुमारी ने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण (पीएमएफएमई) योजना के तहत आत्मनिर्भरता की एक प्रेरणादायक कहानी लिखी है. एमए की डिग्री हासिल करने के बावजूद बेरोजगारी का सामना कर रहीं नीलू ने हार नहीं मानी और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए जीविका, मनरेगा, और पीएमएफएमई जैसी योजनाओं का सहारा लिया.
आज नीलू न केवल अपने गांव में मसाला पीसने का व्यवसाय चला रही हैं, बल्कि मसाला उत्पादक किसानों को लाभ पहुंचा रही हैं और मिशन बागबानी के तहत पौधों की नर्सरी भी स्थापित कर चुकी हैं. उनकी यह पहल गांव की अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन रही है.
नीलू कुमारी की कहानी असाधारण है. अंतरजातीय विवाह करने वाली नीलू ने सामाजिक बाधाओं को तोड़ते हुए आत्मनिर्भरता की राह चुनी. पीएमएफएमई योजना के तहत उन्होंने मसाला पीसने का व्यवसाय शुरू किया. इस व्यवसाय ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि स्थानीय किसानों को भी लाभ पहुंचाया, जो मसाला उत्पादन करते हैं. नीलू बताती हैं, “कोरोना काल में यह व्यवसाय मेरे लिए वरदान साबित हुआ. पहले हमारी स्थिति बहुत खराब थी, लेकिन इस योजना ने हमें आत्मनिर्भर बनाया. आज हम न केवल कमाई कर रहे हैं, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं को भी रोजगार दे रहे हैं.”
नीलू ने मसाला व्यवसाय के साथ-साथ मिशन बागबानी के तहत मनरेगा की मदद से पौधों की नर्सरी भी शुरू की. यह नर्सरी न केवल उनके गांव, बल्कि पूरे शाहकुंड प्रखंड में अनूठी है. नीलू कहती हैं, “पहले हमारे गांव या प्रखंड में कोई नर्सरी नहीं थी. मनरेगा और जीविका के तहत पंजीकरण के बाद हमें सहायता मिली. अब लोग दूर-दूर से हमारे पास पौधे खरीदने आते हैं. जीविका के माध्यम से हमारा व्यवसाय और मजबूत हुआ, क्योंकि वे हमारे पौधों को प्राथमिकता देते हैं.”
उनकी नर्सरी में विभिन्न प्रकार के पौधे उपलब्ध हैं, जो स्थानीय किसानों और बागवानी में रुचि रखने वालों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं.
गांव की एक अन्य महिला लाभार्थी, जो जीविका समूह से 2014 में जुड़ी थीं, उन्होंने बताया कि 2019 में पीएमएफएमई योजना के तहत उन्हें आटा चक्की मिली. कोरोना काल में यह योजना हमारे लिए बहुत लाभकारी रही. पहले हमें दूर-दूर जाना पड़ता था, लेकिन अब गांव में ही काम मिल गया. हमारी स्थिति में सुधार हुआ और हमें गर्व है कि हम नीलू दीदी के साथ मिलकर आत्मनिर्भर बन रहे हैं.”
नीलू कुमारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देती हैं और कहती हैं, “ऐसी योजनाएं गांवों में और सफल हों. मैं चाहती हूं कि विधवा और गरीब महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं लाई जाएं, ताकि वे भी आत्मनिर्भर बन सकें. गांव के निचले तबके की महिलाओं तक इन योजनाओं का लाभ पहुंचना चाहिए.”
पीएमएफएमई योजना खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा शुरू की गई है, जो सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करती है. इस योजना ने नीलू जैसे उद्यमियों को अपने व्यवसाय को बढ़ावा देने और उसे बढ़ाने का अवसर दिया है. नीलू की कहानी यह साबित करती है कि सही अवसर और मेहनत के बल पर विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता हासिल की जा सकती है. नीलू कुमारी की यह पहल न केवल उनके गांव जित्टिया के लिए, बल्कि पूरे भागलपुर और बिहार के लिए एक मिसाल है. उनकी कहानी आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने का जीवंत उदाहरण है, जो अन्य महिलाओं को भी अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए प्रेरित कर रही है.
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एकेएस/एकेजे