दमोह, 1 अप्रैल . मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में व्यापार और रोजगार की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन पलायन इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है. इस समस्या को दूर करने और स्थानीय लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई जनकल्याणकारी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. इन्हीं में से एक प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक सहायता देकर उन्हें स्वावलंबी बनाना है.
इस योजना के तहत ऐसे लोगों को प्रोत्साहित किया जाता है जो पारंपरिक व्यवसायों जैसे बढ़ईगिरी, लोहारगिरी, मूर्तिकला, बुनाई, कुम्हारगिरी, राजमिस्त्री, जूता-चप्पल निर्माण, नाई कार्य और टोकरी-बुनेरी जैसे कार्यों में शामिल हैं. यह योजना न केवल उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त कर रही है, बल्कि उनके हुनर को पहचान और स्थायित्व भी दे रही है.
दमोह जिले के तेंदूखेड़ा नगर परिषद क्षेत्र से एक प्रेरणादायक तस्वीर सामने आई है. वार्ड नंबर 11 के निवासी प्रकाश विश्वकर्मा ने से बात करते हुए कहा कि उन्होंने ऑनलाइन कैफे के माध्यम से पीएम विश्वकर्मा योजना का लाभ उठाया. पहले उन्होंने छह दिन का प्रशिक्षण लिया और इसके बाद अपनी लोहारगिरी की दुकान शुरू की.
प्रकाश ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, “पहले हमें रोजगार के लिए दर-दर भटकना पड़ता था, लेकिन जब से मैं पीएम विश्वकर्मा योजना से जुड़ा हूं, मेरी खुद की दुकान है और अब मैं आत्मनिर्भर बन गया हूं.”
इस योजना के तहत उन्हें प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए गए, जिससे उनका कामकाजी जीवन आसान हो गया. अब वे खुद का व्यवसाय चलाकर आर्थिक तंगी से बाहर निकल चुके हैं और अपने परिवार को बेहतर जीवन दे पा रहे हैं.
इसी तरह, दमोह जिले के बम्होरी गांव के रहने वाले भाईलाल बसोर ने भी प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का लाभ उठाया है. उन्होंने बताया कि योजना के लिए उन्होंने ऑनलाइन आवेदन किया था और चयन होने के बाद छह दिन का प्रशिक्षण लिया. प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें तेंदूखेड़ा पोस्ट ऑफिस से प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ.
भाईलाल बसोर ने कहा, “पहले हमें कोई मदद नहीं मिलती थी, लेकिन इस योजना ने हमारी जिंदगी बदल दी है. अब हम अपने काम को और आगे बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी रोजगार दे सकते हैं.”
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का मकसद केवल आर्थिक सहायता देना नहीं है, बल्कि यह कारीगरों और शिल्पकारों को प्रशिक्षण, उपकरण और बेहतर तकनीक से जोड़कर उनके हुनर को नई ऊंचाइयां दे रहा है. इस योजना के तहत छह दिन का प्रशिक्षण मिलता है. प्रशिक्षण के बाद प्रमाणपत्र और वित्तीय सहायता दी जाती है.
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डीएससी/एकेजे