दमोह, 6 मार्च . केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ गरीबों के लिए वरदान साबित हो रही है. इस योजना के माध्यम से गरीब महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ गई हैं. अब वे कमाई कर अपने परिवार का खर्च चला रही हैं.
दरअसल, मध्य प्रदेश के दमोह जिले के नंदपुरा गांव में छह आदिवासी महिलाओं ने ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ का फॉर्म भरा था. इसके बाद उन्होंने तीन महीने तक सिलाई मशीन, कपड़ों की बुनाई जैसे कामों की मुफ्त ट्रेनिंग ली. प्रशिक्षण के बाद वे घर पर सिलाई-कढ़ाई का काम करके परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं.
लाभार्थी विद्या बाई गौंड ने को बताया, “मैंने ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ का ऑनलाइन फॉर्म भरा था. इसके बाद मैंने ट्रेनिंग ली. मैंने घर पर ही एक छोटी सी दुकान बनाई है. मैं यहां सिलाई का काम करती हूं, इससे ही घर का पालन-पोषण कर पा रही हूं.”
उन्होंने कहा, “मेरे तीन बच्चे हैं और मैं सिलाई का काम कर रोजाना करीब 150 से 200 रुपये कमा लेती हूं. मैं पीएम मोदी का आभार व्यक्त करती हूं, जो मुझ जैसी गरीब महिलाओं के बारे में सोचते हैं. मेरी अपील है कि वे ऐसे ही हमारी रक्षा करते रहें.”
लाभार्थी रजनी ने बताया कि वह नंदपुरा में रहती हैं. तीन महीने पहले ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरा था. इसके बाद मुझे सात दिन का प्रशिक्षण मिला. उन्होंने कहा, “मैं इस योजना से जुड़कर खुश हूं. मुझे सिलाई करके रोजाना 200 से 500 रुपये की आमदनी हो जाती है.”
इस योजना के तहत पहले कारीगरों को पांच दिनों का बुनियादी प्रशिक्षण और 15 दिनों का उन्नत प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके अलावा, कारीगरों को प्रतिदिन 500 रुपये का मेहनताना भी दिया जाता है. ट्रेनिंग में सफल होने पर कारीगरों को 15 हजार रुपये तक की सिलाई मशीन खरीदने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है, और प्रशिक्षण प्रमाण पत्र के आधार पर कारीगरों को तीन लाख रुपये तक का लोन भी दिया जाता है.
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एफएम/एकेजे