पीएम मोदी की यात्रा से भारत-थाईलैंड व्यापार संबंध होंगे और मजबूत

नई दिल्ली, 1 अप्रैल . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय थाईलैंड यात्रा गुरुवार से शुरू हो रही है, जिससे दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को और मजबूती मिलने की उम्मीद है. भारतीय बाजार की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था थाई निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. वहीं, भारत से भी थाईलैंड में निवेश बढ़ा है.

पिछले कुछ वर्षों में थाईलैंड से भारत में बुनियादी ढांचे, रियल एस्टेट, एग्रो प्रोसेसिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, फूड प्रोसेसिंग, होटल और हॉस्पिटैलिटी तथा नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश में इजाफा हुआ है. खासतौर पर 2021 में, ग्लोबल रिन्यूएबल सिनर्जी कंपनी लिमिटेड ने भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में 453.29 मिलियन डॉलर का सबसे बड़ा निवेश किया था.

भारत-थाईलैंड के द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने में अर्ली हार्वेस्ट स्कीम (ईएचएस) ने अहम भूमिका निभाई है. यह स्कीम इंडिया-थाईलैंड कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एग्रीमेंट (सीईसीए) के तहत सितंबर 2004 में लागू की गई थी और इसके तहत 83 उत्पादों को शामिल किया गया है.

इसके अलावा, आसियान-भारत व्यापार समझौता भी व्यापार बढ़ाने में सहायक रहा है. वर्तमान में आसियान और भारत इस समझौते की समीक्षा कर इसे व्यापारियों के लिए अधिक सरल और व्यापार अनुकूल बनाने पर काम कर रहे हैं.

थाईलैंड के वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, 2023 में भारत और थाईलैंड के बीच द्विपक्षीय व्यापार 16.04 अरब डॉलर का रहा. इसमें भारत से थाईलैंड को निर्यात 5.92 अरब डॉलर और थाईलैंड से भारत को आयात 10.11 अरब डॉलर का हुआ.

बता दें कि आसियान क्षेत्र में, थाईलैंड भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. इस सूची में सिंगापुर, इंडोनेशिया और मलेशिया पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं.

थाईलैंड से भारत में चांदी और सोना, मशीनरी और उसके पुर्जे, धातु, रसायन, सब्जियां, औषधीय और फार्मास्यूटिकल उत्पाद, ताजे जलीय जीव, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, वाहन के पुर्जे और अन्य उपकरण, लोहे और इस्पात के उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी और उसके पुर्जे, चाय, कॉफी, मसाले समेत अन्य चीजों का आयात होता है.

डीएससी/एमके