जहान-ए-खुसरो 2025 में पीएम मोदी की मौजूदगी एक अहम संदेश : विभिन्न देशों के राजदूतों ने हुए प्रधानमंत्री के मुरीद

नई दिल्ली, 3 मार्च, . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 फरवरी को नई दिल्ली स्थित सुंदर नर्सरी में आयोजित सूफी संगीत समारोह, ‘जहान-ए-खुसरो 2025’ में भाग लिया. इस कार्यक्रम में उनकी शिरकत को विभिन्न देशों के राजदूतों ने बेहद अहम माना है. उनका कहना है कि भारत जैसी विविध संस्कृतियों और भाषाओं वाले देश में सभी का सम्मान जरूरी है और पीएम मोदी का इस कार्यक्रम में जाने का संदेश भी यही है.

भारत में पेरू के राजदूत जेवियर पॉलिनिच ने कहा, “मैं इसकी बहुत सराहना करता हूं. प्रधानमंत्री भारत में सभी तरह की सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों का समर्थन कर रहे हैं. यह इसलिए अहम है क्योंकि लोकतंत्र अल्पसंख्यकों का सम्मान करता है और भारत दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी है, इसलिए यह उचित ही है कि वह अल्पसंख्यकों का सम्मान किया जाए.”

इक्वाडोर के राजदूत फर्नांडो बुचेली ने कहा, “यह एक मजबूत संकेत है. संगीत लोगों को एकजुट करता है और सहिष्णुता को बढ़ावा देता है. संगीत को बढ़ावा देना लोगों को एक साथ लाने का एक साधन है.”

अल साल्वाडोर के राजदूत गिलर्मो रुबियो फ्यून्स ने भी पीएम मोदी के कार्यक्रम में शामिल होने को अहम माना. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वह सभी कलाकारों, सूफी संगीतकारों का समर्थन करते हैं.”

ग्वाटेमाला के राजदूत उमर लिसेंड्रो कास्टानेडा सोलारेस ने कहा, “कार्यक्रम में उनका शामिल होना एक सम्मान की बात थी, और हममें से कई लोगों के लिए इस उत्सव के दौरान उनसे मिलना निश्चित रूप से कभी न भूलने वाला अनुभव था.” उन्होंने कहा, “यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. निश्चित रूप से, इस देश में अल्पसंख्यकों की भूमिका को मजबूत करने का संदेश महत्वपूर्ण है…”

जहान-ए-खुसरो में सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि जहान-ए-खुसरो के इस आयोजन में एक अनूठी खुशबू है और यह खुशबू हिंदुस्तान की मिट्टी की है. उन्होंने इस तथ्य को याद किया कि कैसे हजरत अमीर खुसरो ने हिंदुस्तान की तुलना जन्नत से की थी और देश को सभ्यता का ऐसा बगीचा बताया था जहां संस्कृति का हर पहलू फला-फूला है.

पीएम मोदी ने कहा, “भारत की मिट्टी का मिजाज ही कुछ खास है और जब सूफी परंपरा यहां पहुंची, तो उसे इस भूमि से एक रिश्ता महसूस हुआ. बाबा फरीद की रूहानी बातें, हज़रत निज़ामुद्दीन की महफिल से प्रज्वलित हुआ प्रेम और हजरत अमीर खुसरो के छंदों से पैदा हुए नए रत्न सामूहिक रूप से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के सार हैं.”

प्रधानमंत्री ने भारत में सूफी परंपरा की विशिष्ट पहचान पर जोर दिया, जहां सूफी संतों ने कुरान की शिक्षाओं को वैदिक सिद्धांतों और भक्ति संगीत के साथ मिश्रित किया. उन्होंने अपने सूफी गीतों के माध्यम से विविधता में एकता को व्यक्त करने के लिए हजरत निज़ामुद्दीन औलिया की प्रशंसा की.

प्रधानमंत्री ने कहा, “जहान-ए-खुसरो अब इस समृद्ध एवं समावेशी परंपरा की आधुनिक पहचान बन गया है.”

यह समारोह अमीर खुसरो की विरासत का उत्सव मनाने के लिए दुनिया भर के कलाकारों को एक साथ ला रहा है. रूमी फाउंडेशन द्वारा आयोजित तथा प्रसिद्ध फिल्म निर्माता एवं कलाकार मुजफ्फर अली द्वारा 2001 में शुरू किया गया यह समारोह इस वर्ष अपनी 25वीं वर्षगांठ मनाई. यह 28 फरवरी से 2 मार्च के दौरान आयोजित किया गया.

–आईएनएएस

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