भारत-जापान का साथ निवेश, स्टार्टअप साझेदारी और कुशल पेशेवरों के लिए नए रास्ते खोलेगा : पीएम मोदी

टोक्यो, 30 अगस्त . Prime Minister ने Saturday को जापान के गवर्नरों के साथ एक विशेष संवाद में भारत-जापान के ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत करने और दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह मुलाकात उनके लिए खुशी का मौका है, क्योंकि जापान के Governor उनकी क्षेत्रों की विविधता और ऊर्जा के जीवंत प्रतीक हैं.

Prime Minister ने अपने संबोधन में कहा, “मैं अनुभव कर रहा हूं कि इस कमरे में सैतामा की रफ्तार है, मियागी की मजबूती है, फुकुओका की जीवंतता है और नारा की विरासत की खुशबु है. आप सभी में कु‍मामोतो की गर्मजोशी है, नागानो की ताजगी है, शिज़ुओका की सुंदरता है, और नागासाकी की धड़कन है. आप सभी, माउंटी फूजी की ताकत है और साकुरा की आत्मा के प्रतीक हैं, जो जापान को टाइमलेस बनाते हैं. India और जापान का रिश्ता हजारों साल पुराना है, जो भगवान बुद्ध की करुणा और राधाबिनोद पाल जैसे नायकों के साहस से जुड़ा है.”

उन्होंने अपने गृह राज्य Gujarat का उदाहरण देते हुए बताया कि बीती सदी में Gujaratी हीरे के व्यापारी कोबे आए थे, जबकि हमा-मात्सु की कंपनियों ने India के ऑटोमोबाइल क्षेत्र में क्रांति लाई. यह उद्यमशीलता दोनों देशों को जोड़ती है. आज ट्रेड, टेक्नोलॉजी, पर्यटन, सुरक्षा, स्किल और संस्कृति के क्षेत्र में नए अध्याय लिखे जा रहे हैं, जो केवल टोक्यो या दिल्ली तक सीमित नहीं, बल्कि राज्यों और प्रांतों की सोच में जीवंत हैं.

Prime Minister ने अपने 15 साल के Gujarat Chief Minister कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने नीति-आधारित शासन, उद्योग को बढ़ावा, मजबूत बुनियादी ढांचा और निवेश के लिए माहौल बनाने पर ध्यान दिया, जो आज “Gujarat मॉडल” के नाम से जाना जाता है. 2014 में Prime Minister बनने के बाद उन्होंने इस सोच को राष्ट्रीय नीति में शामिल किया. राज्यों में प्रतिस्पर्धा की भावना जगाई और उन्हें राष्ट्रीय विकास का मंच बनाया. जापान के प्रांतों की तरह India के हर राज्य की अपनी पहचान है, कहीं समुद्र तट, कहीं पहाड़. इस विविधता को लाभ में बदलने के लिए ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ अभियान, आकांक्षी जिले-ब्लॉक कार्यक्रम, और दूरदराज गांवों को मुख्यधारा में लाने के लिए ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ शुरू किया गया, जो अब विकास के केंद्र बन रहे हैं.

उन्होंने जापान के Governorों की जिम्मेदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि उनके प्रांत टेक्नोलॉजी, मैन्युफैक्चरिंग और नवाचार के केंद्र हैं, कई की अर्थव्यवस्था कई देशों से बड़ी है. इसलिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग का भविष्य उनके हाथों में है. पहले से चली आ रही साझेदारियों Gujarat-शिजुओका, उत्तर प्रदेश-यमानाशी, Maharashtra-वकायामा, आंध्र प्रदेश-तोयामा को उन्होंने कागज से निकालकर लोगों और समृद्धि तक ले जाने की बात कही.

Prime Minister इशिबा के साथ लॉन्च की गई ‘स्टेट-प्रांत साझेदारी पहल’ के तहत हर साल तीन भारतीय राज्य और तीन जापानी प्रांतों के प्रतिनिधिमंडल एक-दूसरे का दौरा करेंगे. उन्होंने Governorों को India आने का निमंत्रण दिया और साझा प्रगति के लिए सहयोग की अपील की. उन्होंने कहा कि जापान और India के छोटे शहरों के स्टार्टअप्स और एमएसएमई मिलकर विचारों का आदान-प्रदान, नवाचार, और अवसर पैदा कर सकते हैं. इसी सोच के साथ कानसाई में बिजनेस एक्सचेंज फोरम शुरू हो रहा है, जो निवेश, स्टार्टअप साझेदारी और कुशल पेशेवरों के लिए नए रास्ते खोलेगा.

Prime Minister ने युवाओं के कनेक्शन पर जोर देते हुए कहा कि जापान की विश्व प्रसिद्ध यूनिवर्सिटीज में भारतीय छात्रों को लाने और अगले पांच साल में पांच लाख लोगों के आदान-प्रदान के लिए एक एक्शन प्लान लॉन्च किया गया है. साथ ही, 50,000 भारतीय कुशल पेशेवरों को जापान भेजने की योजना है, जिसमें प्रांतों की अहम भूमिका होगी.

उन्होंने आशा जताई कि टोक्यो और दिल्ली नेतृत्व करेंगे और कानागावा-कर्नाटक, आइची-असम, और ओकायामा-Odisha मिलकर नई इंडस्ट्री, स्किल, और अवसर बनाएंगे.

एसएचके/एएस