पीएम मोदी आचार्य विद्यानंद जी महाराज के शताब्दी समारोह का करेंगे उद्घाटन

नई दिल्ली, 27 जून . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आचार्य श्री 108 विद्यानंद जी महाराज के शताब्दी समारोह का उद्घाटन करेंगे. यह कार्यक्रम केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा भगवान महावीर अहिंसा भारती ट्रस्ट के सहयोग से आयोजित एक साल तक चलने वाले राष्ट्रीय श्रद्धांजलि समारोह की औपचारिक शुरुआत का प्रतीक होगा. समारोह का आयोजन जैन धर्म के महान आध्यात्मिक नेता और समाज सुधारक आचार्य विद्यानंद जी महाराज की 100वीं जयंती पर किया जा रहा है.

शताब्दी वर्ष 28 जून 2025 से 22 अप्रैल 2026 तक मनाया जाएगा. साल भर चलने वाले इस समारोह में देश भर में सांस्कृतिक, साहित्यिक, शैक्षिक और आध्यात्मिक पहल शामिल होंगी, जिसका उद्देश्य आचार्य श्री 108 विद्यानंद जी महाराज के संदेश को फैलाना है.

आचार्य श्री 108 विद्यानंद जी महाराज का जन्म 22 अप्रैल 1925 को शेदबल, बेलगावी (कर्नाटक) में हुआ था. उन्होंने छोटी उम्र में ही दीक्षा प्राप्त कर ली थी और आधुनिक समय के सबसे विपुल जैन विद्वानों में से एक बन गए, जिन्होंने 8,000 से अधिक जैन आगमिक छंदों को याद किया था.

उन्होंने जैन दर्शन, अनेकांतवाद और मोक्ष मार्ग दर्शन सहित जैन दर्शन और नैतिकता पर 50 से अधिक रचनाएं लिखी. उन्होंने कई दशकों तक नंगे पांव भारतीय राज्यों की यात्रा की. साथ ही ध्यान, ब्रह्मचर्य और कठोर तपस्या का सख्ती से पालन किया.

साल 1975 में भगवान महावीर के 2500वें निर्वाण महोत्सव के दौरान आचार्य विद्यानंद जी ने सभी प्रमुख जैन संप्रदायों की सहमति से आधिकारिक जैन ध्वज और प्रतीक को डिजाइन करने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई. पांच रंगों वाला ध्वज और हाथ से लिखा अहिंसा का प्रतीक तब से जैन समुदाय के लिए परंपराओं के अनुसार एकीकृत प्रतीक बन गए हैं.

उन्होंने दिल्ली, वैशाली, इंदौर और श्रवणबेलगोला सहित पूरे भारत में प्राचीन जैन मंदिरों के जीर्णोद्धार और पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और श्रवणबेलगोला महामस्तकाभिषेक और भगवान महावीर के 2600वें जन्म कल्याणक महोत्सव से भी वह निकटता से जुड़े थे. उन्होंने बिहार में कुंडग्राम (अब बसोकुंड) नामक स्थान को भगवान महावीर के जन्म स्थान के रूप में पहचाना, जिसे बाद में 1956 में भारत सरकार ने मान्यता दी.

अनेक संस्थाओं और पाठशालाओं के संस्थापक के रूप में आचार्य जी ने युवा भिक्षुओं और बच्चों के लिए शिक्षा का समर्थन किया, विशेष रूप से प्राकृत जैन दर्शन और शास्त्रीय भाषाओं में. उन्होंने सक्रिय संवाद के माध्यम से क्षमा अनुष्ठान, आध्यात्मिक समतावाद और अंतर-संप्रदाय सद्भाव को भी बढ़ावा दिया.

उद्घाटन समारोह में देश भर से प्रख्यात जैन आचार्य, आध्यात्मिक नेता, सांसद, संवैधानिक अधिकारी, विद्वान, युवा प्रतिनिधि और अन्य प्रतिष्ठित लोग भी शामिल होंगे.

एकेएस/एकेजे