New Delhi, 29 जुलाई . सिंधु जल समझौता को लेकर Prime Minister Narendra Modi ने Tuesday को संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि यह समझौता देश के खिलाफ था. इस समझौते की वजह से देश और किसानों को नुकसान हुआ.
Prime Minister मोदी ने कहा कि जब भी मैं नेहरू की चर्चा करता हूं तो कांग्रेस और उसका पूरा इकोसिस्टम बिलबिला जाता है. मैं एक शेर सुना करता था, “लम्हों ने खता की और सदियों ने सजा पाई.” आजादी के बाद जो फैसले लिए गए, उनकी सजा देश आज तक भुगत रहा है.
उन्होंने कहा कि जब भी कहीं बांध बनता है तो उसमें डिसिल्टिंग का एक मैकेनिज्म होता है, लेकिन नेहरू ने Pakistan के कहने पर यह शर्त स्वीकार की कि इन बांधों की डिसिल्टिंग India नहीं कर सकता. पानी हमारा, बांध हमारे यहां, लेकिन निर्णय Pakistan का. एक बांध तो ऐसा है, जिसके डिसिल्टिंग गेट को ही वेल्डिंग कर दिया गया है. Pakistan ने नेहरू से लिखवा लिया था कि भारत, Pakistan की मर्जी के बिना अपने ही बांध की डिसिल्टिंग नहीं करेगा. यह समझौता देश के हितों के खिलाफ था.
Prime Minister मोदी ने कहा कि Pakistan दशकों तक युद्ध और छद्म युद्ध करता रहा, लेकिन कांग्रेस Governmentों ने न तो सिंधु जल समझौते की समीक्षा की, न ही नेहरू की उस बड़ी गलती को कभी सुधारा, लेकिन अब India ने वह पुरानी गलती सुधारी है, ठोस निर्णय लिया है. नेहरू द्वारा किया गया वह ऐतिहासिक ब्लंडर ‘सिंधु जल समझौता’ अब राष्ट्रहित और किसानों के हित में स्थगन में रख दिया गया. देश का अहित करने वाला यह समझौता अब इस रूप में आगे नहीं चल सकता. India ने साफ कर दिया है कि खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते.
उन्होंने कहा कि पानी पर हमारे देश के किसानों और नागरिकों का हक था. अगर यह समझौता नहीं हुआ होता तो कई परियोजनाएं बनी होतीं. किसानों को फायदा मिलता और पीने के पानी के लिए कोई संकट नहीं होता. नेहरू ने Pakistan को नहर बनाने के लिए करोड़ों रुपए दिए. यह समझौता देश के खिलाफ था. बाद में नेहरू को अपनी गलती माननी पड़ी. कूटनीति पर हमें उपदेश देने वालों को मैं उनके पिछले रिकॉर्ड की याद दिलाना चाहूंगा. 26/11 के हमलों के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली Government ने विदेशी दबाव के आगे झुकते हुए घटना के कुछ ही हफ्तों के भीतर Pakistan के साथ बातचीत शुरू कर दी. Pakistan द्वारा भारतीय धरती पर हमलों को लगातार प्रायोजित करने के बावजूद यूपीए Government ने India से किसी भी Pakistanी राजनयिक को निष्कासित करने से परहेज किया. उसने Pakistan का मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा कभी रद्द नहीं किया.
उन्होंने कहा कि 1974 में श्रीलंका को कच्चातिवु द्वीप उपहार में दे दिया गया. आज तक हमारे मछुआरे भाई-बहनों को वहां परेशानी होती है, कई बार उनकी जान पर बन आती है. 1965 की जंग में हाजीपीर पास को हमारी सेना ने वापस जीत लिया था, लेकिन कांग्रेस ने उसे फिर लौटा दिया. 1971 में Pakistan के 93 हजार फौजी हमारे पास बंदी थे और Pakistan का हजारों वर्ग किलोमीटर क्षेत्र हमारी सेना के कब्जे में था. उस दौरान अगर थोड़ी सी दूरदृष्टि और समझ होती तो पीओके को वापस लेने का निर्णय लिया जा सकता था. इतना सब कुछ सामने होने के बावजूद कम से कम करतारपुर साहिब को तो ले सकते थे, वो भी नहीं कर पाए.
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डीकेपी/