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New Delhi, 25 नवंबर . अयोध्या में Tuesday को अभिजीत मुहूर्त के दौरान राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा का औपचारिक ध्वजारोहण Prime Minister Narendra Modi की उपस्थिति में संपन्न हुआ. पीएम मोदी ने इस ऐतिहासिक पल से जुड़ा वीडियो social media प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया.
उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा, ”अयोध्या के पावन धाम में श्री राम जन्मभूमि मंदिर में ध्वजारोहण समारोह का हिस्सा बनना मेरे लिए अत्यंत म. शुभ मुहूर्त में संपन्न हुआ यह अनुष्ठान हमारे सांस्कृतिक गौरव और राष्ट्रीय एकता के नए अध्याय का उद्घोष है.”
पीएम मोदी ने कहा, ”राम मंदिर का गौरवशाली ध्वज, विकसित India के नवजागरण की संस्थापना है. ये ध्वज नीति और न्याय का प्रतीक हो, ये ध्वज सुशासन से समृद्धि का पथ प्रदर्शक हो और ये ध्वज विकसित India की ऊर्जा बनकर इसी रूप में सदा आरोहित रहे भगवान श्री राम से यही कामना है. जय जय सियाराम.”
इसके अलावा Prime Minister मोदी ने अयोध्या में रामलला मंदिर के ध्वजारोहण से पहले सप्तमंदिर पहुंचे. यहां उन्होंने महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज गुहा और माता शबरी से जुड़े मंदिर में पूजा-अर्चना की.
पीएम मोदी ने सप्तमंदिर में पूजा-अर्चना की तस्वीरें शेयर करते हुए social media प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”आज अयोध्या में रामलला मंदिर के ध्वजारोहण अनुष्ठान से पूर्व मंदिर परिसर में सप्त मंदिरों के दर्शन कर आशीर्वाद लेने का सौभाग्य भी मिला. महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज एवं माता शबरी के सप्त मंदिरों से वह बोध एवं भक्ति प्राप्त होती है, जो हमें प्रभु राम के चरणों के योग्य बनाती है.”
पीएम मोदी ने दूसरे पोस्ट में लिखा, ”सप्त मंदिरों के सभी सात ऋषियों एवं महा भागवतों की उपस्थिति से ही रामचरित पूर्ण होता है. महर्षि वशिष्ठ एवं महर्षि विश्वामित्र ने प्रभु रामलला के विद्याध्ययन की लीला पूरी कराई. महर्षि अगस्त्य से वन गमन के समय ज्ञान चर्चाएं हुईं एवं राक्षसी आतंक के विनाश का मार्ग प्रशस्त हुआ. आदिकवि महर्षि वाल्मीकि ने अलौकिक रामायण विश्व को प्रदान की. देवी अहिल्या, निषादराज एवं माता शबरी ने महान भक्ति का उदाहरण प्रस्तुत किया और हम प्रभु राम के उस समरस आदर्श से परिचित हो पाए, जिसमें उन्होंने खुद कहा है-कह रघुपति सुनु भामिनि बाता. मानउं एक भगति कर नाता॥”
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एसके/एएस