पीएम मोदी ने सिलीगुड़ी में कहा, गोरखालैंड संकट हल होने के कगार पर

कोलकाता, 9 मार्च . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि पश्चिम बंगाल की पहाड़ियों में गोरखालैंड संकट हल होने के कगार पर है और समाधान की दिशा में आगे बढ़ने के लिए उन्हें लोगों के समर्थन की जरूरत है.

पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के सिलीगुड़ी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ”जिस तरह जम्मू-कश्मीर में धारा 370 खत्म हुई, उसी तरह पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से में गोरखालैंड मामले से जुड़े संकट का भी समाधान निकलेगा. जिस तरह वर्षों के संघर्ष और आंदोलनों के बाद अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना हुई, इसी तरह गोरखालैंड से संबंधित संकट भी हल हो जाएगा.”

उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गोरखा समुदाय की शिकायतों को लेकर हमेशा चिंतित रही है.

प्रधानमंत्री ने कहा, “भाजपा आपकी चिंताओं को दूर करने के लिए हमेशा गंभीर है. पार्टी आपके सपनों को पूरा करने के लिए अपने प्रयास जारी रखेगी. हमारे पास पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से के विकास के लिए एक स्पष्ट रोडमैप है. हम क्षेत्र में चाय, पर्यटन और लकड़ी उद्योग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं.”

प्रधानमंत्री ने राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर वर्षों से पश्चिम बंगाल के उत्तरी क्षेत्र में प्रमुख मुद्दों की उपेक्षा करने का भी आरोप लगाया.

पीएम मोदी ने कहा, “तृणमूल कांग्रेस के अलावा, इंडिया गठबंधन में उसके सहयोगियों ने पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से के लोगों की चिंताओं की बहुत अधिक उपेक्षा की है.”

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि जब भी वह पश्चिम बंगाल के उत्तरी भाग का दौरा करते हैं, तो वे इस क्षेत्र में एक ‘लघु भारत’ की कल्पना करते हैं.

उन्‍होंने कहा, “मैं पहले भी यहां आ चुका हूं. जो विविध संस्कृति मैं यहां देख सकता हूं, वह वास्तव में काफी दुर्लभ है.”

प्रधानमंत्री के भाषण से पहले, न्यायिक सेवाओं से इस्तीफा देने के बाद इस सप्ताह भाजपा में शामिल हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने भी दर्शकों को संबोधित किया.

गंगोपाध्याय ने कहा, “मैं उस पार्टी का नाम भी नहीं लेना चाहता जो पश्चिम बंगाल में वर्तमान सत्तारूढ़ पार्टी है. वह पार्टी पूरी तरह से असामाजिक तत्वों द्वारा नियंत्रित है. सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार एक पूर्व न्यायाधीश के रूप में मेरे संज्ञान में आया था. जबकि योग्य उम्मीदवार शिक्षण नौकरियों से वंचित रह गए, कम अंक पाने वालों को पैसे के बदले नियुक्त किया गया. इस बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण राज्य में पूरी शिक्षा प्रणाली ध्वस्त हो रही है. इसके बाद राशन वितरण प्रणाली में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार सामने आया.”

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