मॉस्को, 8 जुलाई . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार दोपहर मॉस्को पहुंच गए. अभी से वो रूस की दो दिवसीय यात्रा पर हैं. 2019 के बाद से यह उनकी पहली रूस यात्रा है और 2015 के बाद से यह उनकी पहली मॉस्को यात्रा है.
नई दिल्ली से रवाना होने से पहले अपने बयान में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मैं अपने मित्र राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय सहयोग के सभी पहलुओं की समीक्षा करने और विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर दृष्टिकोण साझा करने के लिए तैयार हूं.”
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत और रूस के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी पिछले 10 वर्षों में आगे बढ़ी है, जिसमें ऊर्जा, सुरक्षा, व्यापार, निवेश, स्वास्थ्य, शिक्षा, संस्कृति, पर्यटन और लोगों के बीच आदान-प्रदान शामिल है.
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछली बार सितंबर 2019 में व्लादिवोस्तोक में 5वें पूर्वी आर्थिक शिखर सम्मेलन के इतर आयोजित 20वें भारत-रूस द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए रूस का दौरा किया था. उस समय वो मुख्य अतिथि थे.
तब से बहुत कुछ बदल गया है. साल 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत हुई, इसके बावजूद भारत-रूस विशेष साझेदारी दुनिया के सामने आने वाली कई भू-राजनीतिक चुनौतियों के मद्देनजर मजबूत बनी हुई है.
नई दिल्ली ने मॉस्को के साथ एक स्थिर संबंध बनाए रखा है, जबकि पीएम मोदी ने बार-बार जोर देकर कहा है कि मानव जीवन की कीमत पर कभी भी कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता और शत्रुता और हिंसा का बढ़ना किसी के हित में नहीं है.
सोमवार को रूस के लिए रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने कहा, “हम एक शांतिपूर्ण और स्थिर क्षेत्र के लिए एक सपोर्टिंग रोल निभाना चाहते हैं.”
रूस के राष्ट्रपति ने पीएम मोदी के सम्मान में एक निजी रात्रिभोज का आयोजन किया है. इस दौरान दोनों नेता आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के कई मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी दौरे के अगले दिन यानी मंगलवार को भारतीय समुदाय के साथ बातचीत करेंगे, क्रेमलिन में सैनिकों की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे और उसके बाद मॉस्को में एक प्रदर्शनी स्थल पर रोसाटॉम मंडप का दौरा करेंगे.
इन मुलाकातों के बाद प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच एक वार्ता होगी, जिसके बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत होगी.
विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने पिछले हफ्ते कहा था, “रूसी सेना की सेवा में गुमराह किए गए भारतीय नागरिकों की शीघ्र रिहाई का मुद्दा भी पुतिन के साथ चर्चा में शामिल होने की उम्मीद है.”
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार में 2023-24 में तेज वृद्धि देखी गई है और तब से यह 65 बिलियन डॉलर के करीब पहुंच गया है, जिसका मुख्य कारण दोनों देशों के बीच मजबूत ऊर्जा सहयोग है.
भारतीय विदेश सचिव ने कहा, “दोनों देशों के बीच निवेश संबंध भी बढ़ रहे हैं, जिसमें ऊर्जा, बैंकिंग, रेलवे और इस्पात के क्षेत्र शामिल हैं. रूस भारत की ऊर्जा सुरक्षा और रक्षा के लिए भी एक महत्वपूर्ण साझेदार बना हुआ है. परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में, कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की इकाई 1 और 2 पहले ही चालू हो चुकी हैं. और इकाई 3 और 6 पर काम प्रगति पर है.”
मॉस्को की यात्रा समाप्त करने के बाद पीएम मोदी मंगलवार को ऑस्ट्रिया की यात्रा करेंगे जो 41 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की इस देश की पहली यात्रा होगी.
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