New Delhi, 27 जुलाई . तमिलनाडु के दो दिवसीय दौरे पर गए Prime Minister Narendra Modi ने सरस्वती महल पुस्तकालय के तमिल पंडित मणि मारन के प्रयासों की सराहना की, जो प्राचीन पांडुलिपियों के संरक्षण में सराहनीय कार्य कर रहे हैं. पुस्तकालय ने उनकी लिखी 20 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं.
Sunday को मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मारन की पहल दर्शाती है कि कैसे व्यक्ति India की बौद्धिक और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा में योगदान दे सकते हैं.
सरस्वती महल लाइब्रेरी के तमिल पंडित मणि मारन ने Prime Minister मोदी की सराहना के बाद से बात की और इसे एक ‘संतोषजनक अनुभव’ बताया.
उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि Prime Minister को मेरे बारे में कैसे पता चला, लेकिन मुझे पहचान मिलना काफी अच्छा लगा. मुझे हमेशा से विश्वास था कि एक दिन मेरी मेहनत को पहचान मिलेगी. मैं इस सराहना के लिए Prime Minister का आभारी हूं.”
उन्होंने कहा, “मैं रोमांचित हूं कि Prime Minister मोदी ने आज के ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मेरा उल्लेख किया, जिसकी मुझे कभी उम्मीद नहीं थी. वर्षों से मैं पुरातत्व, इतिहास और पांडुलिपि विज्ञान में शोध पर काम कर रहा हूं, संबंधित जानकारी ला रहा हूं और छात्रों को प्रशिक्षण दे रहा हूं. हमारी लाइब्रेरी इस प्रयास में सहायक रही है. वर्तमान में मैं शाम की कक्षाएं संचालित कर रहा हूं, जहां मैं छात्रों को तमिल पांडुलिपियों के बारे में पढ़ाता हूं.”
उन्होंने आगे कहा कि पांडुलिपियों में मौजूद जानकारी तमिल विरासत का खजाना हैं, जिसमें चिकित्सा संबंधी बातें, ऐतिहासिक तथ्य और तकनीकी जानकारी शामिल हैं.
उन्होंने कहा, “हमारे पास 25 लाख से ज्यादा पांडुलिपियां हैं और अभी भी बहुत कुछ खोजा जाना बाकी है. एक अकेले व्यक्ति के रूप में मेरे लिए इन सबका अध्ययन और प्रकाशन करना असंभव है. इसलिए मैं छात्रों को पांडुलिपियां पढ़ने का प्रशिक्षण दे रहा हूं, ताकि वे इस क्षेत्र में योगदान दे सकें.”
उन्होंने इस क्षेत्र में समान अवसर उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा, “नौकरी के सीमित अवसरों के कारण इसे सीखने में रुचि रखने वाले छात्रों की संख्या सीमित है. अगर हम बेहतर वेतन और नौकरी की संभावनाएं प्रदान करें तो ज्यादा छात्र इसमें रुचि लेंगे. मेरे द्वारा प्रशिक्षित 30 से ज्यादा छात्र विभिन्न स्थानों पर काम कर रहे हैं, लेकिन उनका वेतन आईटी क्षेत्र में मिलने वाले वेतन के बराबर नहीं है. अगर पारिश्रमिक बेहतर होता, तो ज्यादा छात्र सीखने के इच्छुक होते.”
Prime Minister मोदी ने मणि मारन के नेक प्रयास का जिक्र करते हुए रेडियो संबोधन में बताया कि कैसे उनके छात्र न केवल इन ग्रंथों को पढ़ने में कुशल हो गए हैं, बल्कि इन पर आधारित पारंपरिक चिकित्सा पर शोध भी शुरू कर दिया है.
Prime Minister मोदी ने ऐसे ग्रंथों के संरक्षण के महत्व पर जोर दिया और उन्हें “India की आत्मा का अध्याय” बताया, जिन्हें आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाया जाना चाहिए.
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एकेएस/एबीएम