अजमेर, 13 फरवरी . राजस्थान के अजमेर के बड़लिया गांव में पिछले एक साल से जैन आचार्य 108 विद्यासागर जी महाराज की प्रेरणा से संचालित हथकरघा प्रशिक्षण केंद्र बेरोजगारों को प्रशिक्षण देने के साथ उन्हें रोजगार के अवसर भी उपलब्ध करा रहा है.
इस प्रशिक्षण केंद्र में 100 से अधिक लोग अब तक प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं. वर्तमान में 60 लोग इस प्रशिक्षण केंद्र में काम करके अपनी आजीविका चला रहे हैं, जिनमें 15 महिलाएं भी शामिल हैं.
हाथों से बारीक कारीगरी करके इस प्रशिक्षण केंद्र में साड़ी, शॉल, कुर्ता, रुमाल सहित जूट से बने उत्पाद बनाए जाते हैं. प्रशिक्षण केंद्र में बने कपड़ों और अन्य उत्पादों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी प्रशंसा कर चुके हैं और स्वदेशी उत्पादों को अपनाने के लिए देश अनेक बार अपील भी कर चुके हैं. ऐसे में यहां बने उत्पाद लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं.
प्रशिक्षण केंद्र के संचालक ब्रह्मचारी आकाश जैन बताते हैं कि यहां बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है. जब वे प्रशिक्षण प्राप्त कर लेते हैं, तो अपने हाथ की कारीगरी से उत्पाद बनाते हैं, जो स्किन के लिए भी फायदेमंद होते हैं. यहां पर बने कपड़े केमिकल मुक्त होते हैं. इस प्रशिक्षण केंद्र में 100 से अधिक लोग अब तक प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं और वर्तमान में 60 लोग यहां पर काम कर रहे हैं, जिनमें 15 महिलाएं भी शामिल हैं.
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी स्वदेशी को अपनाने की बात कहते हैं और यहां बने उत्पादों की वह प्रशंसा भी कर चुके हैं. यहां पर बने उत्पाद बिल्कुल शुद्ध होते हैं, जो बिना जीवों की हत्या के बनाए जाते हैं और पूजा-पाठ में उन्हें पहना जा सकता है. हाथ से बने होने और अधिक मेहनत के कारण बाजार में मिलने वाले कपड़ों से ये थोड़े महंगे होते हैं, लेकिन इनमें पूर्ण शुद्धता होती है.
हथकरघा केंद्र में कपड़े खरीदने आए ग्राहक बताते हैं कि ये कपड़े हाथों से बनाए जाते हैं और इनका उद्देश्य बेरोजगारों को रोजगार देना है. जैन धर्म में शुद्धता और पवित्रता का खास ध्यान रखा जाता है, ऐसे में यहां पर बने हुए कपड़ों को पूजा-पाठ सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में पहना जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वदेशी को अपनाने की बात को ध्यान में रखते हुए, वह यहां से कपड़े खरीदते हैं. बाजार में मिलने वाले कपड़ों से अच्छे कपड़े जैसे साड़ी, कुर्ता, रुमाल, टॉवल उन्हें कम दामों में मिलते हैं.
प्रशिक्षण केंद्र में काम करने वाले कारीगर आनंद परिहार ने बताया कि वह यहां लंबे समय से काम कर रहे हैं. यहां साड़ी, सूट,शॉल, कुर्ता, रुमाल बनाते हैं. यहां पर प्रशिक्षण के साथ हमें रोजगार भी मिला है, जिससे हम अपनी आजीविका चलाते हैं.
–
एकेएस/एकेजे