देश के विकास के लिए पीएम मोदी की है दूरगामी सोच : अश्विनी वैष्णव (आईएएनएस साक्षात्कार)

नई दिल्ली, 23 अप्रैल . केंद्रीय रेलवे और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने के साथ खास बातचीत में रेलवे के विकास, रोजगार सृजन, मोदी सरकार की अगले पांच साल की विकास योजनाओं के विजन, एआई, टेक्नोलॉजी, निवेश से लेकर कई मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी.

उन्होंने के सवालों का बड़ी साफगोई के साथ जवाब दिया और देश की जनता के लिए एक पैगाम भी दे दिया कि अगले पांच साल में सरकार की योजना है कि रेलवे में सफर करने वाले हर व्यक्ति को कंफर्म टिकट मिल सके.

सवाल :- जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक रेलवे के विकास पर पीएम मोदी फोकस कर रहे हैं. अब जहां कुछ नहीं था, वहां पर इलेक्ट्रिक ट्रेन की बातें भी सामने आई हैं, मौजूदगी उसकी वहां हो रही है तो कैसे कुछ यह सारा कुछ डिजाइन और उस पर क्या कुछ अपडेट है?

जवाब :- पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेलवे में अभूतपूर्व बदलाव किए हैं. इसका एक उदाहरण जम्मू कश्मीर का प्रोजेक्ट भी आप देखते हैं. आप देखिए, 2014 से पहले के अगर 15 वर्ष को देखें, उन 15 वर्षों में उतना काम नहीं हुआ जितना कि मोदी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में किया है. जम्मू कश्मीर बहुत ही चैलेंजिंग प्रोजेक्ट था, लेकिन इस चैलेंजिंग प्रोजेक्ट को एक मैथोडिकल-वे में, साइंटिफिक-वे में काम करके मोदी सरकार ने आज उस परिस्थिति में लाया कि यहां करीब-करीब 90 परसेंट प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिसका उद्घाटन हो चुका है.

आज जम्मू कश्मीर में श्रीनगर घाटी से गाड़ी पहले से चल रही है, कटरा की ओर, और एक टनल टी-वन टनल का काम तेजी से चल रहा है. आने वाले कुछ महीनों में जो ड्रीम प्रोजेक्ट हैं, श्रीनगर से लेकर कन्याकुमारी तक एकदम स्ट्रेट फॉरवर्ड, स्मूथ, सीमलेस रेलवे कनेक्टिविटी हो जाएगी और इस सबमें देश का सौभाग्य है कि पीएम मोदी ने एक ऐसा रेलवे प्रोजेक्ट पूरा किया जो कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक लोगों को निर्बाध यात्रा कराएगा.

सवाल :- बुलेट ट्रेन की बातें हुई. बुलेट ट्रेन के लिए प्लान भी हुआ और उस पर तेजी से काम चल रहा है. तो, अब क्या डेट्स हैं और कब तक भारतीय यात्रियों को बुलेट ट्रेन की यात्रा करने का मौका मिल सकता है?

जवाब :- देखिए, क्या है कि बुलेट ट्रेन बहुत ही कॉम्प्लेक्स प्रोजेक्ट होता है. 2017 में इस पर काम चालू हुआ था और दो साल, ढाई साल लगे पूरा डिजाइन करने में. इसकी डिजाइनिंग बहुत ही कॉम्प्लेक्स होती है क्योंकि जिस स्पीड पर ट्रेन को चलना है, उस स्पीड पर कंपन बड़े स्ट्रांग होते हैं. तो, उन कंपन को कैसे मैनेज करना है? ऊपर से करंट लेना है तो उस करंट को कैसे लेना है? स्पीड, पूरा का पूरा एयरोडायनेमिक्स वगैरह-वगैरह, सब चीजों को बहुत ध्यान से देखना पड़ता है. उसके तुरंत बाद काम चालू हुआ है.

बीच में कोविड का थोड़ा सा सेटबैक लगा और कुछ सेटबैक महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार ने दिया. उन्होंने प्रोजेक्ट के लिए परमिशन देने से मना कर दिया था. उसके कारण भी लगा. लेकिन, अभी बहुत अच्छी प्रोग्रेस पर काम चल रहा है. 290 किलोमीटर से ज्यादा काम ऑलरेडी हो चुका है. आठ नदियों के ऊपर पुल बन चुके हैं. 12 स्टेशन पर काम चल रहा है. स्टेशन भी एकदम एक लेवल पर आ गए हैं, जिससे कि काम कंप्लीट होने की तरफ है. दो डिपो पर काम चल रहा है. मतलब एक साथ बहुत ही तेजी से हर दिशा में काम चल रहा है और 2026 में इसका पहला सेक्शन खुलने का टारगेट लेकर काम किया जा रहा है.

सवाल :- विकसित भारत की दृष्टि से अगर देखा जाए तो किन खास हिस्सों में आगे तेजी से प्रगति के लिए रेलवे मिनिस्ट्री काम कर रही है?

जवाब :- देखिए रेलवे का बहुत ही महत्वपूर्ण टारगेट है कि जो हमारी लो इनकम, मिडिल इनकम वाली फेमिलीज है. उनके लिए एक अच्छी, अफोर्डेबल, सेफ, टाइमली पहुंचने वाली सर्विस को डेवलप करना. इसलिए बहुत जरूरी था कि रेलवे की कैपेसिटी को बढ़ाएं. रेलवे की कैपेसिटी बढ़ने से ही ज्यादा ट्रेन चल पाएंगी और ज्यादा ट्रेन चलने से ही लोगों को जो सुविधा चाहिए, वह मिल पाएगी.

इसी कैपेसिटी को बढ़ाने के लिए अगर हम 2014 से 2024 का पीरियड देखें और 2004 से 2014 के साथ उसको कंपेयर करें तो एक बड़ा अंतर आपको दिखाई देगा. रेलवे ट्रैक बनाने की जो प्रक्रिया है, उसमें 2004 से 2014 में मात्र 17,000 किलोमीटर ट्रैक बने थे. 2014 से 2024 में 31,000 किलोमीटर नए ट्रैक बने. इलेक्ट्रिफिकेशन जिससे रेलवे की स्पीड बढ़ाई जा सकती है, वह 2004 से 2014 के 10 वर्षों में मात्र 5000 किलोमीटर के आसपास हुआ, जबकि 2014 से 2024 के 10 वर्षों में 44,000 किलोमीटर का रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन हुआ.

वैसे ही स्टेशन की बात करें तो एक भी स्टेशन का रीडिवेलपमेंट नहीं हुआ 2004 से 2014 के पीरियड में. 2014 से 2024 के पीरियड में 1,324 स्टेशन का रीडेवलपमेंट चल रहा है. कोच की मैन्युफैक्चरिंग की बात करें तो 2004 से 2014 के पीरियड में मात्र 32,000 कोच बने थे और 2014 से 2024 के पीरियड में 54,000 कोच बने. इलेक्ट्रिक लोको मात्र 2000 बने थे 2004-14 में. अब 6500 लोकोमोटिव 2014 से 24 में बने हैं. 2014 से पहले डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जीरो, एक भी किलोमीटर का कमीशनिंग नहीं हुआ था. और, अब तक 2014 से 2734 किलोमीटर का डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कमीशन हो चुका है. आप देखिए बड़ी संख्या में रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर को, रेलवे की कैपेसिटी को, रेलवे में कोच की संख्या, रेलवे में लोको की संख्या, ऊपर बिजली के तार इन सब की संख्या बड़ी मात्रा में बढ़ाई गई है और इस सबके लिए सरकार ने निवेश किया है. सरकार का इन्वेस्टमेंट इसमें आया है तो एक अच्छे तरीके से रेलवे की कैपेसिटी बढ़ाई गई, जिससे कि आज जो 2014 से पहले रेलवे की कैपेसिटी थी तो उससे कहीं बेहतर आज परिस्थितियां है और आगामी पांच वर्षों में पीएम मोदी की गारंटी है कि रेलवे की कैपेसिटी इतनी बढ़ाएंगे, जिससे कि करीब-करीब जो भी पैसेंजर ट्रैवल करना चाहें, उनको एक आराम से कन्फर्म टिकट मिल सके.

सवाल :- संकल्प पत्र में भी रेलवे के सुधार और इनोवेशन के वायदे किए गए हैं. अगले पांच सालों में क्या माना जाए कि बुलेट ट्रेन देश के और कोने में भी दौड़ेगी?

जवाब :- अगले पांच वर्षों में भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में बहुत स्पष्ट तौर पर रेलवे का विजन रखा है. पीएम मोदी का जो विजन रेलवे के लिए है उसको एकदम स्पष्ट तौर पर रखा गया है और पहला, पीएम मोदी की गारंटी है कि अगले पांच वर्षों में रेलवे की कैपेसिटी को रेलवे की क्षमता को बहुत तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा.

दूसरा, इसमें कई तरह की नई टेक्नोलॉजी लाई जाएगी.

तीसरा, यात्रियों की सुविधाओं के लिए तीन तरह की वंदे भारत ट्रेन का उपयोग किया जाएगा. वंदे भारत की स्लीपर, वंदे भारत की चेयर कार और वंदे भारत की मेट्रो कार. इन तीनों का उपयोग करके यात्रियों को बहुत अच्छी सुविधा दी जाएगी.

चौथा अमृत भारत ट्रेन बहुत बड़ी संख्या में बनाई जाएगी, जिससे कि किसी को भी बिना रिजर्वेशन के आराम से लंबी दूरी की यात्रा भी तय करने में सफलता मिले.

यात्री पर फोकस करते हुए एक सुपर ऐप का निर्माण किया जाएगा जो कि यात्रियों की हर सुविधा, हर तरह की यात्रा से संबंधित हर विषय को आराम से सुपर ऐप के जरिए से किया जा सके, उसका ध्यान रखा जाएगा. कवच का इंस्टॉलेशन 2016 में चालू हुआ था, 2019 में एक अच्छी प्रोग्रेस पहुंची, इसे सर्टिफिकेशन मिला. उसको वृहद तरीके से आगे रोल आउट किया जाएगा. तो, एक तरीके से रेलवे भारत के अर्थतंत्र की जो एक मजबूत कड़ी है, उसको और मजबूत किया जाएगा और विशेषकर यात्रियों के लिए जो सुविधाएं हैं, उनको बहुत तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा. जो भी 1320 रेलवे स्टेशन का रीडेवेलपमेंट चल रहा है, उसको आगामी कुछ ही समय में कंप्लीट करके उसके बाद में और भी जो दूसरे मीडियम स्टेशन हैं, बड़े स्टेशन हैं, उन सबको रीडेवलपमेंट में भी लिया जाएगा. तो, ओवरऑल रेलवे एक हेल्दी ऑर्गेनाइजेशन की तरह उभर रहा है.

उसको और मजबूत करके किस तरह से यात्रियों के लिए, किस तरह से भारत के अर्थतंत्र के लिए, किस तरह से हर उस विषय के लिए, जिसमें रेलवे का योगदान हो सकता है, उसमें रेलवे के योगदान को और बढ़ाया जाएगा.

सवाल :- मैन्युफैक्चरिंग में हमने देखा पीएम मोदी की कई स्कीमों जैसे ‘मेक इन इंडिया’ हो, ‘डिजिटल इंडिया’ हो उससे काफी ग्लोबल कंपनी भारत आई. एप्पल का इस बार रिकॉर्ड स्तर पर ग्रोथ है, चाहे मैन्युफैक्चरिंग हो या जॉब क्रिएशन हो, आप इसको कैसे देखते हैं और आने वाला समय आपको कैसा लगता है और ग्लोबल कंपनीज भी भारत आएंगी?

जवाब :- आपने एकदम सही कहा, पिछले 10 वर्षों में पीएम मोदी ने जबसे ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम लॉन्च किया, बहुत सारे आसान रास्ते तैयार किए, कई बदलाव किए और किस तरह से मैन्युफैक्चरिंग में एक बड़ा इंप्रूवमेंट आए, उसके लिए बहुत अच्छा काम किया और उसका परिणाम भी आज देखने को मिल रहा है. अगर कोई भी सेक्टर लें जैसे डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग देखिए, आप टेक्सटाइल्स की मैन्युफैक्चरिंग देखिए, इलेक्ट्रॉनिक्स की मैन्युफैक्चरिंग देखिए, केमिकल्स, फार्मास्यूटिकल्स, करीब-करीब हर सेक्टर में मैन्युफैक्चरिंग सिग्निफिकेंटली उभरकर आया है और इसका रोजगार के ऊपर बहुत अच्छा प्रभाव है.

एक अकेले इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में भी देखें अगर आप तो करीब 12 लाख नए रोजगार उत्पन्न हुए. 100 बिलियन डॉलर से ऊपर इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग पहुंच चुका है. मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में भारत दुनिया के टॉप टू कंट्रीज में शामिल हो गया है और जिस तरह से ग्रोथ हो रही है, उस ग्रोथ से एक अच्छा अनुभव है. इस अनुभव से देश को बहुत लाभ होगा, रोजगार बढ़ेगा. एक अकेले एप्पल का जो इकोसिस्टम है, उसमें डेढ़ लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है और यह अच्छी ग्रोथ है. इस ग्रोथ का आगे आप आने वाले समय में देखेंगे कि यह और भी एक्सपोनेशन ग्रोथ की तरह उभरेगी, क्योंकि लोगों का एक विश्वास है पीएम मोदी की पॉलिसीज पर, पीएम मोदी के काम करने के तरीके पर, पीएम मोदी की सरकार में ट्रांसपेरेंसी पर और पीएम मोदी का स्पष्ट फोकस है भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना. उस क्लियर फोकस को लेकर लोगों के मन में विश्वास है. उस विश्वास का रिजल्ट आगामी वर्षों में भी दिखेंगे.

सवाल :- सेमीकंडक्टर में हमने देखा डिजाइन हो, मैन्युफैक्चरिंग हो, काफी बड़ा इन्वेस्टमेंट आया. यूएस कंपनीज आई, बाकी भी कंपनी ने यहां पर प्लांट लगाने की बात की. आप सेमीकंडक्टर, ईवी और एआई को आने वाले समय में कैसे देखते हैं?

जवाब :- यह भारत की आगामी ग्रोथ और जो नई जनरेशन है, उस नई जनरेशन के लिए फाउंडेशन बनाने का काम पीएम मोदी कर रहे हैं, जो एकदम अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी है उन टेक्नोलॉजी को भारत में लाकर चाहे एआई हो, ईवी हो, सेमीकंडक्टर हो, सबमें एक क्लियर पॉलिसी है. जिस पॉलिसी से देश के नौजवानों को देश के जो स्टार्टअप हैं उनको, उन सबको इसका बेनिफिट मिल सके. उस तरह की स्कीम बनी है, उस तरह की पॉलिसी बनी है. जैसे सेमीकंडक्टर में देखें 1960 के बाद से जो ड्रीम था, भारत का एक बहुत बड़ा सपना था. उस सपने को पीएम मोदी ने पूरा किया है. चार यूनिट आज अपने लग चुके हैं. टेक्नोलॉजी डेवलप हो रही है. कंस्ट्रक्शन तेजी से चल रहा है. जो साणंद में प्लांट है माइक्रोन, उससे तो दिसंबर 2024 में ही पहली चिप निकलने की पूरी तैयारी है. जो असम में प्लांट लग रहा है, उस प्लांट से दुनिया के बड़े-बड़े इलेक्ट्रिक व्हीकल में वहां से बनी हुई चिप लगेगी.

इस तरह से एक तरीके से जो भारत का बहुत बड़ा पोटेंशियल है, क्योंकि हम लोग सेमीकंडक्टर डिजाइन में बहुत मजबूत हैं. जब डिजाइन में मजबूत हैं तो मैन्युफैक्चरिंग में क्यों कमी रखें? इसी भावना के साथ पीएम मोदी ने सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को भारत में लाने का एक संकल्प लिया है और अगले पांच वर्षों में भारत दुनिया के बड़े सेमीकंडक्टर हब में से बनेगा. उस प्रयास के लिए काम करेंगे, उस संकल्प के साथ काम करेंगे.

सवाल :- वंदे भारत स्लीपर कोच को लेकर बड़ी उत्सुकता है सभी के मन में. कब तक उम्मीद की जाए, किस रूट पर स्लीपर कोच वंदे भारत मिलेगी?

जवाब :- वंदे भारत स्लीपर का डिजाइन होकर उसका मैन्युफैक्चरिंग का काम बहुत तेजी से प्रोग्रेस कर रहा है. कुछ ही समय पहले मैं देखकर भी आया था, बेंगलुरु में वंदे भारत का जहां पर स्लीपर कोच बन रहा था. बहुत अच्छी डिजाइन हुई है. बहुत अच्छा उसकी राइडिंग कंफर्ट रहेगा, बहुत अच्छा पैसेंजर्स का अनुभव रहेगा. बहुत जल्दी ही वह आने वाला है. आने के बाद में उसकी दो तीन महीने टेस्टिंग की जाएगी. मई फर्स्ट वीक का टारगेट था वंदे भारत स्लीपर का फैक्ट्री से निकलने का. उसके बाद में दो तीन महीने करीब-करीब टेस्टिंग होगी. टेस्टिंग के बाद में उसको फिर डिप्लायमेंट करेंगे.

सवाल :- प्रधानमंत्री मोदी के साथ आप लंबे वक्त से काम कर रहे हैं. क्या कुछ एक ऐसा अनुभव जो शेयर करना चाहते हैं के जरिए, जो लोगों को नहीं मालूम हो?

जवाब :- मैं तीन बातें शेयर करना चाहूंगा. सबसे पहली बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हमेशा प्रयास रहता है कि देश को अगले 25 वर्षों में, अगले 50 वर्षों में जो ग्रोथ के लिए, प्रोग्रेस के लिए समृद्ध बनाने के लिए जो काम करना है, उसका फाउंडेशन आज हम लें, आज से हम उसी दिशा में काम करें. एक शॉर्ट टर्म में नहीं सोचें. हमेशा एक लॉन्ग टर्म विजन के साथ काम करें.

दूसरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत ही ओपन माइंडेड पर्सन हैं. जो भी व्यक्ति उनके पास आइडियाज लेकर आते हैं, थॉट्स लेकर आते हैं, एनालिसिस लेकर आते हैं और अपने अनुभव लेकर आते हैं, उन अनुभवों को बहुत तन्मयता के साथ, बहुत गहराई के साथ सुनते हैं और उसका उपयोग करते हैं.

तीसरा, प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा पारदर्शिता पर जोर दिया है कि एक क्लियर पॉलिसी होनी चाहिए. उस पॉलिसी के हिसाब से सभी काम करें. सब पॉलिसी के हिसाब से काम करें. सबको एक समभाव से देखें.

चौथा, प्रधानमंत्री मोदी बहुत ही संवेदनशील व्यक्ति हैं. मैंने देखा है कि जब भी कोई विषय आता है उस विषय में एक हमारा साधारण नागरिक जो लो इनकम वर्ग हमारा है, जिसके बारे में कोई नहीं सोचता उनके बारे में पीएम मोदी हमेशा सोचते हैं. तो, इस तरह से देश का एक जो आज विश्वास पीएम मोदी पर आया है वह विश्वास बहुत ही महत्वपूर्ण विश्वास है. आप देखो अगर हम 1950 से लेकर सरकारों को देखें. सरकार के ऊपर जन-जन का विश्वास पहली बार आया है.

आज विश्वास वाली बात है और यह काम इसलिए संभव हो पाया क्योंकि पीएम मोदी ने हर जन हितकारी काम को जमीन तक पहुंचाया, लोगों तक पहुंचाया है. ऐसे इस तरह के प्रोसेस बनाए. इस तरह की टेक्नोलॉजी यूज किए, जिससे कि जमीन तक पहुंचकर लोगों के जीवन में एक स्थायी परिवर्तन आया.

सवाल :- एआई के मिसयूज को लेकर काफी चर्चा हो रही है. पीएम मोदी ने भी बिल गेट्स के साथ चर्चा की और डीप फेक को लेकर चिंता जाहिर की, यह कैसे कंट्रोल कर सकते हैं और सरकार इस विषय में क्या कर रही है?

जवाब :- एआई के मिसयूज के ऊपर ऑलरेडी इंडस्ट्री के साथ अच्छा कंसल्टेशन हुआ है. कैसे उसको रोका जाए, आज दुनिया भर में एक थॉट प्रोसेस बन रहा है, एआई के बारे में, क्योंकि यह जो समस्या है और एआई का उपयोग भी बहुत है तो उस उपयोग को भी अच्छे से करना है और उसके मिसयूज को भी रोकना है. इन दोनों को बैलेंस करके किस तरह से आगे बढ़ना है. उसके बारे में जैसे नई सरकार बनेगी, उसके तुरंत बाद इसके ऊपर पब्लिक कंसल्टेशन भी आरंभ करेंगे. ऑलरेडी एक अच्छा फ्रेमवर्क बन चुका है. उस फ्रेमवर्क को सबके सामने लेकर आएंगे.

सवाल :- भारत दुनिया का टेक्नोलॉजी लीडर बनेगा, इस पर क्या कहना चाहते हैं?

जवाब :- भारत के टैलेंट को दुनिया भर में माना जाता है. चाहे आप किसी भी फील्ड में देखिए, चाहे आप कॉम्प्लेक्स से कॉम्प्लेक्स चिप्स के डिजाइन देखिए, सेमीकंडक्टर चिप्स के डिजाइन देखिए, टेलीकॉम की डिजाइन देखिए, इलेक्ट्रॉनिक्स की डिजाइन देखिए. हर जगह भारत के टैलेंट को दुनिया भर में माना गया है और पीएम मोदी ने जो आत्मविश्वास दिया है. पिछले 10 वर्षों में किस तरह से भारत अपनी खुद की टेक्नोलॉजी डेवलप करे. चाहे टेलीकॉम हो, चाहे वंदे भारत हो, डिफेंस में हो, चाहे स्टार्टअप्स में हो, चाहे सेमीकंडक्टर में हो, चाहे किसी भी टेक्नोलॉजी से रिलेटेड फील्ड में हो. पीएम मोदी ने बहुत स्पष्ट जोर दिया है कि अपनी भारत की खुद की टेक्नोलॉजी हमें डेवलप करनी चाहिए. यह जो भावना है, यह जो आत्मविश्वास देश को आया है, यह आत्मविश्वास इन 10 वर्षों की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. आगामी वर्षों में भारत में निश्चित तौर पर आप देखेंगे. कई जो कॉम्प्लेक्स टेक्नोलॉजी है, उन टेक्नोलॉजी पर भारत एक बहुत अग्रणी देश बनकर निकलेगा.

जीकेटी/एबीएम