जीईएम पर 3 करोड़ ऑर्डर्स के माध्यम से हुई करीब 15 लाख करोड़ रुपए की सरकारी खरीद : पीयूष गोयल

New Delhi, 9 अगस्त . केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने Saturday को डिजिटल गवर्नेंस पहल के सफल 9 वर्षों की सराहना करते हुए कहा कि Prime Minister Narendra Modi के ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ के दृष्टिकोण को साकार करते हुए, Governmentी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) पारदर्शिता, समावेशिता और दक्षता की आधारशिला बन गया है.

गोयल ने social media प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “India की सबसे प्रभावशाली डिजिटल गवर्नेंस पहलों में से एक के रूप में 9 वर्ष पूरे करने पर Governmentी ई-मार्केटप्लेस को बधाई.”

Union Minister ने कहा कि इस प्लेटफॉर्म के जरिए वित्त वर्ष 2025-26 में अब तक 1.52 लाख करोड़ रुपए की खरीदारी हुई है और शुरुआत के बाद से अब तक 3 करोड़ ऑर्डर्स के माध्यम से कुल 14.91 लाख करोड़ रुपए से अधिक की संचयी खरीदारी संभव हुई है.

Governmentी ई-मार्केटप्लेस पहल हाशिए पर पड़े विक्रेता समूहों और दिव्यांग लोगों को सक्रिय रूप से सुविधा प्रदान करती है.

Union Minister ने कहा, “इसने एमएसई, महिला उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), आदिवासी कारीगरों, स्टार्टअप्स, बुनकरों और दिव्यांगजनों जैसे हाशिए पर पड़े और कम प्रतिनिधित्व वाले विक्रेता समूहों की भागीदारी को भी सक्रिय रूप से सुगम बनाया है.”

Union Minister ने कहा कि शीर्ष से निचले स्तर तक डिजिटल खरीद को विकेंद्रीकृत करने के लिए, पंचायतों द्वारा खरीद को सक्षम बनाने हेतु जीईएम को ई-ग्राम स्वराज पोर्टल के साथ भी एकीकृत किया गया है.

गोयल के अनुसार, इस योजना का विकास पथ न केवल संख्या में वृद्धि को दर्शाता है, बल्कि प्रभाव के गहन होने को भी दर्शाता है जो स्थानीय समुदायों को सशक्त बना रहा है, लागत प्रभावी खरीद को सक्षम बना रहा है और आत्मनिर्भर India का समर्थन कर रहा है.

वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, जीईएम ने वित्त वर्ष 2024-25 में सकल व्यापारिक मूल्य (जीएमवी) में 5.4 लाख करोड़ रुपए के लेनदेन दर्ज किए हैं.

जीईएम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मिहिर कुमार के अनुसार, “हमारा ध्यान यह सुनिश्चित करने पर है कि आदिवासी कारीगरों से लेकर तकनीक-संचालित स्टार्टअप तक, हर उद्यम सार्वजनिक खरीद के अवसरों तक आसानी से पहुंच सके.”

जीईएम प्लेटफॉर्म को 2016 में खुली, समावेशी और प्रभावी सार्वजनिक खरीद को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था और यह एक डिजिटल खरीद प्रणाली के रूप में विकसित हुआ है जो दिव्यांगजनों, स्वयं सहायता समूहों, महिला उद्यमियों, स्टार्टअप्स और कारीगरों सहित देश भर के विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं को जोड़ता है.

एबीएस/