नई दिल्ली, 5 जनवरी . राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पटना के फुलवारीशरीफ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) मामले के मुख्य आरोपी मोहम्मद सज्जाद आलम को दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट (आईजीआई) से गिरफ्तार किया. आरोपी दुबई से भारत लौटा था.
बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के निवासी आलम को एनआईए की एक टीम ने शनिवार को विमान से उतरते ही गिरफ्तार कर लिया. पटना स्थित एनआईए की विशेष अदालत ने प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के प्रशिक्षित कैडर आलम के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. इसके अलावा, उसके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर भी जारी किया गया था.
एनआईए की जांच के अनुसार, आलम दुबई से बिहार में पीएफआई सदस्यों तक अवैध धन पहुंचाने में शामिल था. कथित तौर पर अवैध फंडिंग का काम यूएई, कर्नाटक और केरल में स्थित एक सिंडिकेट के माध्यम से चलाया जाता था.
कथित तौर पर इस धनराशि का उपयोग भारत में पीएफआई की गैरकानूनी और आपराधिक गतिविधियों को समर्थन देने के लिए किया गया था. यह गिरफ्तारी फुलवारीशरीफ मामले में चल रही जांच में एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां एनआईए बिहार और देश के अन्य हिस्सों में प्रतिबंधित संगठन के संचालन से जुड़े कथित षड्यंत्रों और वित्तीय नेटवर्क की जांच कर रही है.
जुलाई 2022 में फुलवारीशरीफ पुलिस की ओर से शुरू में दर्ज किया गया यह मामला पीएफआई सदस्यों की गैरकानूनी और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने से संबंधित है. जांच से पता चला है कि पीएफआई के सदस्यों ने आतंक का माहौल बनाने और विभिन्न समुदायों के बीच धार्मिक दुश्मनी भड़काने की साजिश रची थी. उनका उद्देश्य सार्वजनिक शांति को भंग करना, भारत के खिलाफ असंतोष फैलाना, कथित तौर पर देश में इस्लामी शासन स्थापित करने के पीएफआई के वैचारिक एजेंडे को आगे बढ़ाना था.
एनआईए की जांच में एक दस्तावेज का खुलासा हुआ था. एनआईए के मुताबिक, पीएफआई अपने “इंडिया 2047 टुवर्ड्स रूल ऑफ इस्लाम इन इंडिया” नामक दस्तावेज के आधार पर भारत में इस्लामिक शासन स्थापित करने का प्रयास कर रहा था. जांचकर्ताओं का आरोप है कि इन गतिविधियों में पीएफआई विचारधारा का प्रचार करने के लिए आपराधिक बल का प्रयोग भी शामिल था. 2022 में मामला दर्ज होने के तुरंत बाद एनआईए ने जांच अपने हाथ में ले ली थी.
एनआईए ने इस मामले की जांच अपने हाथ में लेने के बाद अब तक 17 आरोपियों को गिरफ्तार कर चार्जशीट दाखिल कर दी है. मोहम्मद सज्जाद आलम की गिरफ्तारी इस मामले में 18वीं है. एनआईए भारत में प्रतिबंधित संगठन के नेटवर्क और गतिविधियों को खत्म करने के लिए अपने प्रयास जारी रखे हुए है.
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