रांची, 17 मार्च . झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य की पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार के पांच मंत्रियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच के लिए दायर पीआईएल को निरस्त कर दिया है. यह पीआईएल सामाजिक कार्यकर्ता पंकज कुमार यादव ने वर्ष 2020 में दायर की थी.
याचिका में कहा गया था कि रघुवर दास के कैबिनेट के पांच मंत्रियों अमर कुमार बाउरी, रणधीर सिंह, डॉ. नीरा यादव, लुईस मरांडी और नीलकंठ सिंह मुंडा की आय बहुत कम समय के दौरान अप्रत्याशित तौर बढ़ गई. इसके प्रमाण में निर्वाचन आयोग के समक्ष उनकी संपत्ति के विवरण से संबंधित दाखिल शपथ पत्र का हवाला दिया गया था.
याचिका के मुताबिक, 2014 के चुनाव के वक्त अमर बाउरी ने 7.33 लाख की संपत्ति का ब्यौरा दिया था. यह संपत्ति 2019 में 89.41 लाख दिखाई गई. रणधीर सिंह ने 2014 में 88.92 लाख की संपत्ति दिखाई थी जो 2019 में 5.06 करोड़ हो गई. डॉ. नीरा यादव ने 2014 में 80.59 लाख संपत्ति का ब्यौरा दिया था. उनकी संपत्ति 2019 में 3.65 करोड़ हो गई थी. लुईस मरांडी के पास साल 2014 में 2.25 करोड़ की संपत्ति थी, जो 2019 में 9.06 करोड़ हो गई. वहीं नीलकंठ सिंह मुंडा के पास 2014 में 1.46 करोड़ की संपत्ति 2019 में बढ़कर 4.35 करोड़ हो गई थी.
याचिकाकर्ता ने 2014 से 2019 के बीच इनकी संपत्ति में 100 से 1100 प्रतिशत के इजाफे पर सवाल उठाया था. इसी याचिका के आधार पर हेमंत सरकार (पार्ट-वन) ने वर्ष 2022 में पांचों पूर्व मंत्रियों के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो से जांच की स्वीकृति दी थी.
प्रारंभिक जांच में एसीबी ने इस बात का जिक्र किया था कि सभी पांचों पूर्व मंत्रियों की संपत्ति में अप्रत्याशित इजाफा हुआ है. इसी आधार पर एसीबी ने सभी के खिलाफ अलग-अलग पीई (प्रिलिमिनरी इन्क्वायरी) दर्ज की थी.
पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त इन पांच पूर्व मंत्रियों में से एक लुईस मरांडी झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो गई थीं और अब वह राज्य की विधानसभा में झामुमो की विधायक हैं.
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एसएनसी/