ग्रेटर नोएडा : ‘पैरामाउंट गोल्ड फॉरेस्ट’ सोसाइटी के बाहर बाहर लोगों का प्रदर्शन, किसान यूनियन का मिला समर्थन

ग्रेटर नोएडा, 19 सितंबर . ग्रेटर नोएडा के ‘पैरामाउंट गोल्ड फॉरेस्ट’ सोसाइटी के बाहर 23 अगस्त से ही सोसाइटी के लोगों और किसानों का प्रदर्शन जारी है. प्रदर्शन कर रहे लोगों ने गुरुवार को महापंचायत करके आंदोलन की लड़ाई को आरपार करने की बात कही है. किसान संगठन ने इस मामले में अधिकारियों पर भी बिल्डर के साथ मिलकर सांठ-गांठ करने का आरोप लगाया है.

ग्रेटर नोएडा के थाना सूरजपुर क्षेत्र की ‘पैरामाउंट गोल्ड फॉरेस्ट’ सोसाइटी के गेट पर भारतीय किसान यूनियन (बलराज) और सोसाइटी के निवासी लगातार अपनी मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन करते आ रहे हैं. निवासी सोसाइटी की सुरक्षा, मूलभूत सुविधाओं और रजिस्ट्री की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं. सोसाइटी के लोगों का समर्थन भारतीय किसान यूनियन (बलराज) ने किया है और उनके साथ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं.

भारतीय किसान यूनियन (बलराज) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बलराज भाटी ने कहा कि बिल्डर द्वारा सोसाइटी के लोगों को सताया जा रहा है. सोसाइटी की सिक्योरिटी बदहाल है. आए दिन लोगों पर हमले होते हैं. करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी लोगों की रजिस्ट्री नहीं हुई है. ज्यादा चार्ज देने के बाद भी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. अगर बिल्डर सोसाइटी के लोगों की मांगों को पूरा नहीं करता है, तो किसान यूनियन उनके खिलाफ और बड़ा आंदोलन करेंगे.

उन्होंने कहा कि इसी कड़ी में 25 सितंबर को महापंचायत बुलाई गई है. जब तक सोसाइटी के लोगों की मांगों को नहीं माना जाएगा, तब तक हमारा अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन बिल्डर के खिलाफ चलता रहेगा.

‘पैरामाउंट गोल्फ फॉरेस्ट’ सोसाइटी निवासी आरपी. सिंह का कहना है कि पैरामाउंट बिल्डर और यूपीएसआईडीसी के आरएम अनिल कुमार की मिलीभगत से सोसाइटी के अंदर अवैध निर्माण कार्य हुए हैं. अब सोसाइटी के दो-चार लालची किस्म के लोगों को लालच देकर गुपचुप तरीके से अपने ऑफिस में बुलाकर वार्ता करके अफवाहें फैलाई जा रही है कि सभी मांगें मान ली गई हैं.

सोसाइटी निवासी संगठन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रामकुमार नागर ने बताया कि जिन मुद्दों को लेकर निवासी धरने पर बैठे हैं, उन मुद्दों का आरएम अनिल कुमार ने जिक्र तक नहीं किया. धरना-प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा, जब तक बिल्डर के अवैध निर्माणों को ध्वस्त नहीं किया जाएगा और समस्याओं का समाधान नहीं होगा.

पीकेटी/एससीएच