चैत्र नवरात्रि के साथ नव संवत्सर की शुरुआत, पूजा अर्चना को मंदिरों में जुटे लोग

नई दिल्ली/झज्जर/वाराणसी, 30 मार्च . चैत्र नवरात्रि के पहले दिन देशभर के मंदिरों में भक्तों का तांता लगा है. दिल्ली के कालकाजी मंदिर, हरियाणा के झज्जर में माता भीमेश्वरी देवी मंदिर और छतरपुर मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए लंबी कतारों में खड़े नजर आए. इसी दिन हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी होती है. इस मौके पर काशीवासी सूर्य को अर्घ्य देते दिखे.

दिल्ली के प्रसिद्ध कालकाजी मंदिर में नवरात्रि के पहले दिन भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. सुबह से ही लोग माता के दर्शन के लिए लाइनों में लगे रहे.

श्रद्धालु ने को बताया, “आज नवरात्रि का पहला दिन है. हम माता के दर्शन करने आए हैं. प्रशासन ने अच्छी व्यवस्था की है. लाइन लंबी है, लेकिन दर्शन सुचारु रूप से हो रहे हैं.”

मंदिर में मां शैलपुत्री की पूजा की गई, जिनका प्रतिपदा के दिन आवाहन होता है. हरियाणा के झज्जर जिले के बेरी में स्थित माता भीमेश्वरी देवी मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई. यह मंदिर महाभारत काल से जुड़ा हुआ है और पांडवों व बाबा शाम की कुलदेवी के रूप में प्रसिद्ध है. मंदिर की खासियत यह है कि यहां माता की एक प्रतिमा के लिए दो मंदिर हैं. सुबह 5 बजे प्रतिमा को बाहर वाले मंदिर में लाया जाता है, जहां भक्त दर्शन करते हैं.

पुजारी ने को बताया, “आज पहला नवरात्र है. माता को शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है. सुबह मंगला आरती में ही भक्तों की भीड़ जुट गई थी. माता को सूर्योदय की लालिमा जैसी पोशाक पहनाई गई है. भक्तों से अपील है कि धक्का-मुक्की न करें और प्रेम से दर्शन करें.”

दिल्ली के श्री कात्यायनी (छतरपुर मंदिर) में भी नवरात्रि के पहले दिन भक्तों की लंबी कतार लगी. सुबह से ही लोग मां शैलपुत्री की पूजा के लिए पहुंचे.

मालवीय नगर से आईं श्रद्धालु कांति शर्मा ने से कहा, “हर साल मैं पहले नवरात्रि पर माता के दर्शन के लिए आती हूं. आज सुबह भीड़ कम थी, जिससे मन को बहुत सुकून मिला. मैं कामना करती हूं कि माता सबकी मनोकामनाएं पूरी करें, देश और घर खुशहाल रहे, बच्चों को सद्बुद्धि मिले.” उन्होंने बताया कि व्यवस्था सुचारु होने से दर्शन आसानी से हो रहे हैं.

वाराणसी में हिंदू नववर्ष का स्वागत नवरात्रि के पहले दिन को हिंदू नववर्ष की शुरुआत के रूप में भी मनाया गया. वाराणसी के केदार घाट पर ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के नेतृत्व में सूर्य को जल अर्पित कर नव संवत्सर का स्वागत किया गया.

शंकराचार्य ने कहा, “आज विक्रम संवत का पहला दिन है. ब्रह्मा जी ने इसी दिन सृष्टि की रचना शुरू की थी. यह परंपरा दो अरब सालों से चली आ रही है. सनातन समाज ने काल गणना और वेदों का उच्चारण विश्व को दिया.”

उन्होंने हिंदू नववर्ष की शुभकामनाएं दीं और कहा कि भारत का असली संवत्सर विक्रम संवत ही है.

एसएचके/केआर