तेहरान, 27 सितंबर . 2015 के परमाणु समझौते को फिर से लागू करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं. ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने कहा कि तेहरान और समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले यूरोपीय देशों ने इस मुद्दे पर चर्चा की है.
समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक पेजेशकियन ने यह टिप्पणी न्यूयॉर्क दौरे से तेहरान पहुंचने पर की. न्यूयॉर्क में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में भाग लिया और अपने विदेशी समकक्षों सहित कई द्विपक्षीय बैठकें कीं.
पेजेशकियन ने कहा, “कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (जेसीपीओए) के बारे में बातचीत हुई. हमने यूरोपीय देशों के साथ अपनी चिंताओं को साझा किया और यह फैसला लिया गया कि (हमारे) विदेश मंत्री इस मुद्दे पर आगे की कार्रवाई करेंगे.”
ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने पड़ोसी देशों के राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं.
जेसीपीओए को फिर से लागू करने के लिए बातचीत अप्रैल 2021 में ऑस्ट्रिया के विएना में शुरू हुई थी. हालांकि अगस्त 2022 में अंतिम दौर की बातचीत के बाद से कोई महत्वपूर्ण सफलता हासिल नहीं हुई.
ईरान के विदेश मंत्री सैय्यद अब्बास अरघची भी पेजेशकियन की टीम के सदस्य के रूप में अमेरिका गए थे. उन्होंने यात्रा से पहले कहा था कि तेहरान न्यूयॉर्क में जेसीपीओए को फिर से लागू करने पर वार्ता के एक नए दौर की शुरुआत के लिए तैयार है, बशर्ते कि अन्य पक्ष भी इसके लिए तैयार हों.
इस बीच ईरान के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के उन दावों को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि तेहरान पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित अमेरिका के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के लिए खतरा पैदा कर रहा है.
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने गुरुवार को एक बयान में ब्लिंकन के दावों को ‘हास्यास्पद और पूरी तरह से निराधार’ करार दिया. उन्होंने कहा कि इस तरह के दावे ‘राजनीति से प्रेरित’ थे.
इससे पहले बुधवार को एनबीसी के ‘टुडे’ शो पर एक इंटरव्यू के दौरान ब्लिंकन ने कहा था कि संयुक्त राज्य अमेरिका ‘वर्तमान और पूर्व वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के खिलाफ ईरानी खतरे पर गहरी नजर रख रहा है.’
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