कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर ने बताया, करवाचौथ के दिन सुहागिन महिलाएं करें ये काम

नई दिल्ली, 19 अक्टूबर . देश भर में रविवार को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन के लिए करवाचौथ का व्रत रखेंगी.

इसकी तैयारी शनिवार से ही शुरू हो गई है. बाजारों में इसकी चहल-पहल देखने को मिली. वहीं, सुहागिन महिलाओं ने अपने पति के नाम की मेहंदी भी लगाई. करवाचौथ का व्रत काफी कठोर होता है. व्रत में किन नियमों का पालन होना चाहिए, इसे लेकर शनिवार को ने कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत से बात की. उन्होंने बताया कि कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन सुहागिन महिलाएं करवाचौथ का व्रत रखती हैं. संध्या के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं और पति की लंबी आयु तथा स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं.

उन्होंने बताया कि करवाचौथ इस बार 20 अक्टूबर को होगा. रविवार के दिन तृतीया तिथि सुबह 6 बजकर 46 मिनट तक है. उसके उपरांत चतुर्थी तिथि का प्रवेश हो जाएगा. इसलिए करवा चौथ 20 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा. शाम 7 बजकर 40 मिनट पर चंद्रमा दिखाई देगा. चंद्रमा को अर्घ्य देकर सुहागिन महिलाएं अपने व्रत को पूर्ण करेंगी.

करवाचौथ मनाने के लिए किन नियमों का पालन करना चाहिए. इस बारे में कालकाजी के पीठाधीश्वर ने कहा, “करवाचौथ के दिन सुहागिन महिलाएं सुबह स्नान करें. इसके बाद 16 श्रंगार करें. एक चौकी लगाएं, उसके ऊपर लाल वस्त्र रखें, करवाचौथ माता की तस्वीर रखें, संग में गणेश जी की प्रतिमा भी रखें.”

उन्होंने बताया कि करवाचौथ के लिए दो करवा रखा जाता है और एक कलश की स्थापना की जाती है. कलश तांबे का भी रख सकते हैं. एक करवा से चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है, दूसरा करवा सुहागिन महिलाएं एक-दूसरे को देती हैं. उन्होंने बताया कि गणेश भगवान की पूजा-अर्चना के बाद माता करवाचौथ की पूजा भी की जाती है.

शाम के वक्त सुहागिन महिलाएं करवाचौथ की कथा अकेले या फिर अन्य महिलाओं के साथ सुनती हैं. इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं.

डीकेएम/एकेजे