युवाओं के लिए धैर्य बहुत जरूरी, जीवन में कोई शॉर्टकट नहीं : पीएम मोदी

नई दिल्ली, 16 मार्च . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं को हर परिस्थिति में धैर्य और साहस बनाए रखने की सलाह देते हुए कहा कि असल जिंदगी में कोई शॉर्टकट नहीं होता है.

अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन ने पीएम मोदी के साथ एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि युवा आपकी कहानी से प्रेरित रहते हैं. अपनी साधारण शुरुआत से लेकर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता तक के सफर से आप उन युवाओं को क्या बता सकते हैं, जो संघर्ष कर रहे हैं, जो अपना रास्ता खोजने की कोशिश कर रहे हैं?

प्रधानमंत्री ने युवाओं को संदेश दिया कि चाहे रात कितनी भी अंधेरी क्यों न लगे, यह रात ही है और सुबह तो आनी ही है. इसलिए, हमें धैर्य और आत्मविश्वास की आवश्यकता है. हां, चुनौतियां वास्तविक हैं, लेकिन अपनी परिस्थितियों से जकड़ा हुआ महसूस न करें. मैं यहां एक उद्देश्य के लिए हूं, जिसे एक उच्च शक्ति ने भेजा है, और मैं अकेला नहीं हूं. जिसने मुझे भेजा है, वह हमेशा मेरे साथ है – यह अटूट विश्वास हमेशा हमारे भीतर बना रहना चाहिए.

उन्होंने कहा, “कठिनाइयां सहनशक्ति की परीक्षा हैं. वे मुझे हराने के लिए नहीं हैं. कठिनाइयां मुझे मजबूत बनाने, मुझे बढ़ने और बेहतर बनाने में मदद करने के लिए हैं, मुझे निराश या हतोत्साहित महसूस कराने के लिए नहीं. व्यक्तिगत रूप से मैं हर संकट, हर चुनौती को एक अवसर के रूप में देखता हूं.”

पीएम मोदी ने कहा, “इसलिए, मैं सभी युवाओं से कहता हूं कि धैर्य रखें. जीवन में कोई शॉर्टकट नहीं होता. हमारे रेलवे स्टेशनों पर, उन लोगों के लिए एक बोर्ड लटका हुआ है जो पुल का उपयोग करने की बजाय पटरियों को पार करते हैं, इस पर लिखा होता है, ‘शॉर्टकट आपको छोटा कर देगा.’ मैं युवाओं से भी यही कहूंगा, शॉर्टकट आपको छोटा कर देगा. जीवन में कोई शॉर्टकट नहीं होता. धैर्य और दृढ़ता बहुत जरूरी है. हमें जो भी जिम्मेदारी दी जाती है, हमें उसे पूरे दिल से निभाना चाहिए. हमें उसे जुनून के साथ जीना चाहिए. यात्रा का आनंद लें और उसमें पूर्णता पाएं. मेरा वास्तव में मानना है कि अगर यह मानसिकता विकसित की जाती है, तो यह जीवन को बदल देती है.”

उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति के आस-पास संसाधन हो सकते हैं, लेकिन अपनी क्षमताओं का उपयोग उन्हें और बढ़ाने के लिए करना चाहिए. अपनी ताकत से समाज में और अधिक योगदान देना चाहिए. भले ही कोई एक अच्छी स्थिति में हो, फिर भी उसे बहुत कुछ करने की सोच रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि किसी को भी अपने भीतर के छात्र को मरने नहीं देना चाहिए, सीखना कभी बंद नहीं होना चाहिए.

प्रधानमंत्री ने कहा, “मेरा मानना है कि जब तक मैं जीवित हूं, मेरे पास एक उद्देश्य होना चाहिए. शायद मैं सीखते रहने के लिए, बढ़ते रहने के लिए ही जीवित हूं. अब, मेरी मातृभाषा गुजराती है, और हम हिंदी भाषा से बहुत परिचित नहीं थे, न ही हम इसे वाक्पटुता से बोलना या प्रभावी ढंग से संवाद करना जानते थे. लेकिन एक बच्चे के रूप में मैं अपने पिताजी की चाय की दुकान पर बैठता था, और उस छोटी सी उम्र में, मुझे बहुत से लोगों से मिलने का मौका मिला. और हर बार, मैंने उनसे कुछ न कुछ सीखा, मैंने उनके बोलने के तरीके, उनके हाव-भाव देखे. इन बातों ने मुझे बहुत कुछ सिखाया, हालांकि मैं उस समय इसे अपनाने की स्थिति में नहीं था.”

उन्होंने कहा कि सीखने की इच्छा हमेशा जीवित रहनी चाहिए. ज्यादातर लोग बड़े लक्ष्य निर्धारित करते हैं और जब वे विफल हो जाते हैं, तो निराश हो जाते हैं. इसलिए जब भी मुझे अपने दोस्तों से बात करने का मौका मिलता है, तो मैं उनसे कहता हूं, पाने और बनने के सपने देखने की बजाय, कुछ करने का सपना देखो. अगर आप कुछ करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, और मान लीजिए कि आपका लक्ष्य 10 तक पहुंचना है, लेकिन आप आठ तक पहुंच जाते हैं, तो आप निराश नहीं होंगे. आप दृढ़ संकल्प के साथ 10 की ओर काम करेंगे. लेकिन अगर आपका सपना सिर्फ कुछ बनना है और वह नहीं हो पाता है, तो आपकी उपलब्धियां भी आपको बोझ लगने लगेंगी. इसलिए, हमें जीवन में अपनी मानसिकता को समायोजित करना चाहिए. मुझे क्या मिला या नहीं मिला, इस बारे में सोचने की बजाय, मानसिकता यह होनी चाहिए कि मैं क्या दे सकता हूं? क्योंकि सच्चा संतोष अपने-आप नहीं खिलता. यह आपके द्वारा दी गई गहराई से बढ़ता है.

एकेएस/एकेजे