‘युद्ध नशों के विरुद्ध’: पटियाला पुलिस ने तोड़ी सप्लाई चेन, 6 करोड़ की संपत्ति जब्त

पटियाला, 30 सितंबर . पंजाब में Chief Minister भगवंत मान के नेतृत्व में चलाए जा रहे ‘युद्ध नशों के विरुद्ध’ अभियान के अंतर्गत पटियाला Police ने सितंबर माह में नशा तस्करों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. Police ने इस महीने एनडीपीएस एक्ट के तहत 93 केस दर्ज किए. इस दौरान कई सप्लाई चेन नेटवर्क को ध्वस्त करते हुए नशा सप्लाई करने वालों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेज दिया.

एसएसपी पटियाला वरुण शर्मा के अनुसार, एनडीपीएस एक्ट की धारा 68एफ के तहत नशा तस्करों की अवैध संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया तेज की गई है. हाल के महीनों में 16 प्रस्ताव सक्षम प्राधिकरण से मंज़ूर हुए, जिसके तहत लगभग पौने छह करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है. यह संपत्ति नशा तस्करी से अर्जित की गई थी.

उन्होंने बताया कि जहां एक ओर नशा सप्लाई करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है, वहीं नशे की लत के शिकार लोगों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया गया है. अब तक 500 से अधिक नशेड़ी डि-एडिक्शन सेंटर्स और 2000 से अधिक नशेड़ी अन्य उपचार केंद्रों में दाखिल कराए जा चुके हैं, ताकि वे इलाज लेकर मुख्यधारा में लौट सकें.

सितंबर में पटियाला Police ने 5 बड़े नशा सप्लायरों को गिरफ्तार किया है. इनके खिलाफ संपत्ति जब्ती के प्रस्ताव भी भेजे जाएंगे. Police का दावा है कि पटियाला में कन्विक्शन रेट 95 फीसदी है. यह इस बात का सबूत है कि Police की जांच और केस बेहद मजबूत होते हैं.

Police ने आगे बताया कि सेफ पंजाब हेल्पलाइन के जरिए मिले 250 से अधिक टिप्स के आधार पर First Information Report दर्ज की गई हैं और त्वरित कार्रवाई की गई है. इस गुप्त सूचना प्रणाली ने Police और जनता के बीच विश्वास को और मजबूत किया है.

अकाली दल के कुछ कार्यकर्ताओं के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए Police ने कहा कि माताओं-बहनों की सुरक्षा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है. हाल ही में सामने आए एक मामले में एक महिला को पहले पटियाला के Governmentी अस्पताल और बाद में उसकी इच्छा पर लुधियाना के निजी अस्पताल में भर्ती कराने में Police ने पूरा सहयोग दिया.

पटियाला Police का कहना है कि युद्ध नशों के विरुद्ध अब सिर्फ Governmentी स्तर का अभियान नहीं रहा, बल्कि जनता भी इसमें सक्रिय रूप से शामिल हो रही है. जैसे-जैसे नशे की सप्लाई चेन टूट रही है और इसकी उपलब्धता कम हो रही है, वैसे-वैसे लोग आगे आकर अपने बच्चों को डि-एडिक्शन सेंटर्स में दाखिल करा रहे हैं. यह अभियान अब धीरे-धीरे एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है.

पीएसके