रांची, 21 जून . झारखंड में विधानसभा चुनाव के लिए सभी दलों ने तैयारियों शुरू कर दी है. भाजपा, कांग्रेस, झामुमो और आजसू चुनावी रणनीति और रूपरेखा बनाने में जुटी हैं.
लोकसभा चुनाव के नतीजों और मतों के आंकड़ों का विश्लेषण कर मजबूत-कमजोर मोर्चों की पहचान की जा रही है और अपने-अपने हिसाब से चुनावी मुद्दे तैयार किए जा रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान को झारखंड में चुनाव प्रभारी और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा को सह प्रभारी के रूप में नियुक्त किया है. इन दोनों को पार्टी में अचूक चुनावी रणनीतिकार के रूप में जाना जाता है. दूसरी बात यह है कि शिवराज सिंह चौहान राज्य में ओबीसी राजनीति के लिए उपयुक्त चेहरा हैं.
इसके पहले 2014 में भी भाजपा ओबीसी नेता के तौर पर रघुवर दास को आगे कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सफल रही थी. झारखंड में ओबीसी जातियों की आबादी 50 से 55 फीसदी के आसपास है, जिन्हें भाजपा के पक्ष में गोलबंद करने की जिम्मेदारी शिवराज सिंह चौहान के पास होगी. केंद्रीय मंत्रिपरिषद में झारखंड से जिन दो सांसदों अन्नपूर्णा देवी और संजय सेठ को शामिल किया गया है, वो ओबीसी से ही आते हैं.
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 18 जून को झारखंड के प्रमुख भाजपा नेताओं के साथ दिल्ली में बैठक कर चुनावी रणनीति पर चर्चा की. तय हुआ कि अगले पांच महीने के चुनावी अभियान के लिए ब्लूप्रिंट तैयार किया जाए. लोकसभा चुनाव में जहां भी कमी रही गई, वहां डैमेज कंट्रोल की प्रभावी योजना बनाई जाए. एक-एक बूथ पर मिले वोट को ध्यान में रखकर काम हो.
बैठक में झारखंड के चुनाव सह प्रभारी और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी, प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी, संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह सहित राज्य के अन्य प्रमुख नेता उपस्थित रहे. 23 जून को शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा रांची आ रहे हैं. दोनों राज्य भर के प्रमुख नेताओं के साथ आगे की कार्ययोजना तय करेंगे.
हिमंता बिस्वा सरमा के मुताबिक, “हम झारखंड में इस बार चुनाव जीतकर सरकार बनाने को कृत संकल्प है. लोकसभा चुनाव में हमने राज्य की 14 में से 9 सीटें जीती हैं. जहां कोई कमी रह गई है, उसे मिलकर दूर कर लेंगे.”
दूसरी तरफ कांग्रेस नेतृत्व ने 24 जून को दिल्ली में झारखंड के पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई है. उन्हें लोकसभा और पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन, सीटों के तालमेल और संगठन की पूरी रिपोर्ट लेकर पहुंचने को कहा गया है. राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी नेता राहुल गांधी झारखंड के कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर, प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर सहित अन्य नेताओं के साथ चुनावी रणनीति तय करेंगे.
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 33 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इस बार भी उन्हीं सीटों पर फोकस किया जा रहा है. झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार भी विधानसभा चुनाव के ठीक पहले जनप्रिय फैसले लेकर अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश में जुटी है. सरकार ने जातीय जनगणना कराने, गरीब वर्ग की 25 से 49 वर्ष तक की महिलाओं को प्रतिमाह एक हजार रुपए की आर्थिक सहायता, 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली, रसोई गैस में सब्सिडी जैसी कई घोषणाएं की है.
कल्पना सोरेन लगातार राज्य के विभिन्न हिस्सों के कार्यक्रमों में जा रही हैं. एनडीए के घटक दल आजसू ने भी नवंबर तक पदयात्राएं, प्रवास, जिला एवं ग्राम सम्मेलन जैसे कार्यक्रम तय किए हैं. पार्टियां अपने-अपने एजेंडे के हिसाब से ओबीसी आरक्षण, सरना आदिवासी धर्म कोड, बांग्लादेशी घुसपैठ जैसे मुद्दे उठा रही है.
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एसएनसी/एबीएम