पेरिस ओलंपिक: मनु भाकर के काम आई गीता की सीख, मेडल जीतने के बाद किया खुलासा

पेरिस, 28 जुलाई . भारत की मनु भाकर ने पेरिस 2024 ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया. वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला निशानेबाज बन गईं. इस ऐतिहासिक जीत के बाद, भाकर ने कहा कि इस पदक का भारत में काफी समय से इंतजार हो रहा था, क्योंकि देश के निशानेबाज रियो (2016) और टोक्यो (2020) में पिछले दो ओलंपिक में खाली हाथ ही वापस लौटे थे.

22 वर्षीय निशानेबाज ने कहा कि भारत और भी अधिक पदक का हकदार है. पदक जीतने के बाद मनु ने कहा, “मैं बहुत अच्छा महसूस कर रही हूं और यह भारत के लिए बहुत समय से प्रतीक्षित पदक था. मैं इसे हासिल करने का सिर्फ एक माध्यम थी, भारत जितने संभव हो, उतने पदक का हकदार है. हम इस बार जितनी संभव हो सके उतने इवेंट में भाग लेने की उम्मीद कर रहे हैं. पूरी टीम ने वास्तव में कड़ी मेहनत की है. और व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए, यह सपने जैसा है.”

मैच के बाद इंटरव्यू में मनु ने कहा, “मुझे लगता है कि मैंने अच्छा काम किया, बहुत मेहनत की, और आखिरी शॉट तक मैं अपनी पूरी ऊर्जा के साथ लड़ती रही. यह कांस्य पदक था. लेकिन मैं वास्तव में आभारी हूं कि मैं जीत सकी, शायद अगली बार बेहतर परिणाम आएगा.”

मनु अपने दूसरे ओलंपिक खेलों में भाग ले रही हैं और एक और इवेंट में शूटिंग करने वाली हैं. मनु से पहले लंदन ओलंपिक में गगन नारंग और विजय कुमार ने 12 साल पहले शूटिंग में मेडल जीता था.

मनु भाकर से पूछा गया कि फाइनल के अंतिम क्षणों में उनके मन में क्या चल रहा था. उन्होंने कहा कि, “मैं बहुत गीता पढ़ती हूं, इसलिए मेरे मन में यही चल रहा था कि जो करना है, करो और परिणाम के बारे में मत सोचो. गीता में कृष्ण अर्जुन को यही कहते हैं कि कर्म पर ध्यान दो, फल की इच्छा मत करो. इसलिए मैं बस अपना काम करने पर ध्यान केंद्रित कर रही थी.”

मनु टोक्यो ओलंपिक की निराशा से उभर चुकी हैं, जहां उनकी पिस्टल में तकनीकी खराबी आ गई थी और उनको क्वालीफिकेशन से बाहर होना पड़ा था. मनु ने कहा, “टोक्यो के बाद मैं बहुत निराश हुई थी. उससे उबरने में मुझे काफी समय लगा. हालांकि, मैं मजबूत होकर वापस आई और यही मायने रखता है.”

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