New Delhi, 22 जुलाई . केंद्र सरकार ने Tuesday को जानकारी देते हुए कहा कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आम नागरिक पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए राजकोषीय और व्यापार नीति सहित कई प्रशासनिक उपाय किए गए हैं.
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि इन समन्वित उपायों का उद्देश्य मुद्रास्फीति नियंत्रण और सतत आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाना है.
इनमें आवश्यक खाद्य वस्तुओं के लिए बफर स्टॉक में वृद्धि; खुले बाजार में खरीदे गए अनाज की रणनीतिक बिक्री; कम आपूर्ति की अवधि के दौरान आयात और निर्यात पर अंकुश लगाना और चुनिंदा वस्तुओं की अधिक आपूर्ति बाजार में लाने के लिए स्टॉक सीमा लागू करना आदि शामिल हैं.
अन्य उपायों में भारत ब्रांड के तहत चुनिंदा खाद्य पदार्थों की रियायती दरों पर खुदरा बिक्री, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लगभग 81 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न वितरण और 12 लाख रुपए तक की वार्षिक आय (मानक कटौती वाले वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए 2.75 लाख रुपए) को आयकर से छूट देकर व्यक्तियों की प्रयोज्य आय में वृद्धि शामिल है.
राज्य मंत्री ने आगे बताया कि इन प्रयासों के पूरक के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने मई 2022 और फरवरी 2023 के बीच रेपो रेट में संचयी रूप से 250 आधार अंकों (4 प्रतिशत से 6.5 प्रतिशत) की वृद्धि की और उसके बाद जनवरी 2025 तक इसे 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखा.
परिणामस्वरूप, सीपीआई द्वारा मापी गई औसत सालाना खुदरा मुद्रास्फीति 2023-24 में 5.4 प्रतिशत से गिरकर 2024-25 में 4.6 प्रतिशत हो गई, जो छह वर्षों में सबसे कम है.
हालिया आंकड़ों के अनुसार, जून 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 2.1 प्रतिशत हो गई.
मुद्रास्फीति में गिरावट और विकास को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई ने फरवरी 2025 से नीतिगत (रेपो) दर में 100 आधार अंकों की कटौती की है.
केंद्रीय बैंक अपने प्राथमिक मौद्रिक नीति ढांचे के रूप में लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण की नीति का पालन करता है, जिसके तहत आरबीआई उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति (मुख्य मुद्रास्फीति) को 4 प्रतिशत पर बनाए रखने का लक्ष्य रखता है.
पिछली तीन तिमाहियों में सीपीआई मुद्रास्फीति दर आरबीआई के 4 प्रतिशत के टॉलरेंस बैंड के भीतर रही है.
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एसकेटी/