नई दिल्ली, 7 मार्च . आज हम पनीर के फूल नामक एक खास पौधे की चर्चा कर रहे हैं, जो अपनी औषधीय खूबियों के लिए मशहूर है. इसका वैज्ञानिक नाम विथानिया कौयगुलांस है और यह सोलानेसी परिवार से संबंधित है. इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे इंडियन चीज मेकर, इंडियन रेनेट, पनीर डोडी, पनीर डोडा, और पनीर बेड. संस्कृत में इसे ऋष्यगंधा, उर्दू में पनीर दोडी, हिंदी में पनीर का फूल या पनीर बंद और बंगाली में पनीर फूल कहते हैं.
पनीर के फूल का उपयोग न केवल पनीर बनाने के लिए किया जाता है, बल्कि इसके औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद में इसे कई बीमारियों से बचाव और उनके इलाज के लिए फायदेमंद माना जाता है. पनीर का फूल आयुर्वेदिक दवाइयों में उपयोग किया जाता है. यह स्वाद में मीठा होता है और इसमें शामक और मूत्रवर्धक गुण पाए जाते हैं. यह अनिद्रा, घबराहट, अस्थमा और डायबिटीज जैसी समस्याओं से लड़ने में भी सहायक है.
वर्तमान समय में डायबिटीज एक आम बीमारी बन गई है. यह चयापचय संबंधी कई विकारों का समूह है, जो रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर को बढ़ा देता है. यह समस्या तब होती है, जब पैंक्रियाज पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता. हम जो भोजन करते हैं, वह शुगर में टूटकर खून में मिल जाता है. जब ब्लड शुगर का स्तर बढ़ता है, तो पैंक्रियाज को इंसुलिन छोड़ने का संकेत मिलता है. हालांकि, डायबिटीज का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन स्वस्थ आहार, अच्छी लाइफस्टाइल और समय पर दवाइयां लेने से इसे नियंत्रित किया जा सकता है.
डायबिटीज के मरीजों को अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना पड़ता है. आयुर्वेद में कई प्राकृतिक तत्वों का उपयोग होता है, जो डायबिटीज के लिए वरदान साबित हो सकते हैं. ऐसा ही एक उपाय है ‘पनीर का फूल’. इसे भारतीय रेनेट, विथानिया कोगुलांस या पनीर डोडा के नाम से भी जाना जाता है. यह फूल भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में पाया जाता है और अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है. डायबिटीज के मरीजों के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी है, क्योंकि इसका सेवन रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है. हालांकि, औषधीय रूप में इसका उपयोग करने से पहले चिकित्सक की सलाह लेना जरूरी है.
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