Mumbai /नागपुर, 27 अगस्त . गणेशोत्सव की शुरुआत के साथ ही Mumbai के लालबाग इलाके में स्थित गणेश गली के राजा की भव्य मूर्ति एक बार फिर चर्चा में है. इस साल लालबाग सार्वजनिक उत्सव मंडल गणेश गली के राजा की 22 फीट ऊंची मूर्ति तमिलनाडु के रामेश्वरम की पौराणिक कथा से प्रेरित है.
मंडल के उपाध्यक्ष सिद्धेश कोरगावकर ने समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा, “इस बार हम लोग 98वां गणेशोत्सव मना रहे हैं. यह लालबाग इलाके का सबसे पुराना गणपति है. 22 फीट ऊंची मूर्ति बनाई है.” उन्होंने कहा कि मूर्ति और सजावट में रामेश्वरम की थीम को दर्शाया गया है, जिसमें हनुमान जी रामेश्वरम से भगवान शंकर का पिंड लेकर आते हैं. उसी कथा के अनुसार मूर्ति और डेकोरेशन में रामेश्वरम की झलक दिखाई देती है.
सिद्धेश कोरगावकर ने बताया कि श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. प्राइवेट सिक्योरिटी और Mumbai पुलिस की तैनाती के साथ-साथ पंडाल में सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है, ताकि भक्त शांतिपूर्वक दर्शन कर सकें.
इसी तरह, नागपुर में आराध्य देवता और प्राचीन मंदिरों में से एक के रूप में टेकड़ी गणेश मंदिर की पहचान है. यहां स्थित गणपति की मूर्ति स्वयंभू है और इसका इतिहास लगभग 350 वर्ष पुराना है. गणेशोत्सव के शुभारंभ के साथ ही मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है. विदर्भ, Madhya Pradesh और पड़ोसी राज्यों से भी लाखों भक्त मनोकामना पूर्ण करने और संकट निवारण के लिए यहां पहुंच रहे हैं.
श्रद्धालुओं की मान्यता है कि टेकड़ी गणपति मनोकामना पूर्ण करने वाले, इच्छित फल देने वाले और संकट दूर करने वाले हैं. गणेशोत्सव के पहले दिन से ही मंदिर में भक्तों का उत्साह और नवचैतन्य देखने को मिल रहा है.
एक श्रद्धालु ने कहा कि यहां आने वाले भक्त खुश हैं. लोगों में एक अद्भुत उत्साह है. यही प्रार्थना है कि गणेश भगवान का आशीर्वाद सभी लोगों को मिले.
ब्रिटिश काल में राजे भोसले और अंग्रेजों के बीच सीताबर्डी क्षेत्र की टेकड़ी पर युद्ध हुआ था, जहां यह मंदिर स्थित है. उस समय Friday तालाब का पानी मंदिर तक आता था, इसलिए भोसले राजे नाव के जरिए दर्शन के लिए आते थे. मंदिर में गणपति की मूर्ति पीपल के पेड़ के नीचे स्थापित है. प्रारंभ में यह छोटा विनायक मंदिर था, जो धीरे-धीरे विकसित हुआ.
मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार होने के बावजूद गणपति की मूर्ति उत्तरमुखी है और दाहिनी सूंड वाली है. मूर्ति के पीछे शिवलिंग भी स्थित है. मूर्ति की ऊंचाई लगभग साढ़े चार फीट और चौड़ाई तीन फीट है.
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डीसीएच/