पाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा भगवान बुद्ध की महान विरासत का सम्मान : पीएम मोदी

नई दिल्ली, 17 अक्टूबर . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस और पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने के समारोह में शिरकत की.

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान बुद्ध को याद किया. उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के अभिधम्म, उनकी वाणी, उनकी शिक्षाएं जिस पाली भाषा में विरासत के तौर पर विश्व को मिली हैं, उसी पाली भाषा को इसी महीने भारत सरकार ने शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है. पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का ये दर्जा, पाली भाषा का ये सम्मान भगवान बुद्ध की महान विरासत का सम्मान है.

उन्होंने कहा, “हम नए निर्माण के साथ-साथ अपने अतीत को भी सुरक्षित कर रहे हैं. पिछले 10 वर्षों में हम 600 से ज्यादा प्राचीन धरोहरों, कलाकृतियों और अवशेषों को दुनिया के अलग-अलग देशों से वापस भारत लाए हैं. इनमें से कई अवशेष बौद्ध धर्म से संबंधित हैं, यानि बुद्ध की विरासत के पुनर्जागरण में भारत अपनी संस्कृति और सभ्यता को नए सिरे से प्रस्तुत कर रहा है.”

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि अभिधम्म दिवस हमें याद दिलाता है कि करुणा और सद्भावना से ही हम दुनिया को और बेहतर बना सकते हैं. इससे पहले 2021 में कुशीनगर में ऐसा ही आयोजन हुआ था, ये मेरा सौभाग्य है कि वहां उस आयोजन में भी मैं शामिल हुआ था. ये मेरा सौभाग्य है कि भगवान बुद्ध के साथ जुड़ाव की जो यात्रा मेरे जन्म के साथ शुरू हुई है, वो अनवरत जारी है.

उन्होंने कहा कि आजादी से पहले आक्रमणकारी भारत की पहचान को मिटाने में लगे थे और आजादी के बाद लोग गुलामी की मानसिकता के शिकार हो गए. भारत पर ऐसे इको-सिस्टम का कब्जा हो गया, जिसने हमें विपरीत दिशा में धकेलने का काम किया. पाली भाषा को उसका सही स्थान मिलने में सात दशक लग गए. पीएम मोदी ने यह भी कहा कि भारत की बुद्ध में आस्था केवल अपने लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता की सेवा का मार्ग है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से भगवान बुद्ध द्वारा बोली जाने वाली पाली भाषा अब आम बोलचाल में नहीं रह गई है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि संस्कृति और परंपरा की आत्मा है.

उन्होंने कहा कि यह मूल भावों से जुड़ी हुई है और पाली को आज के समय में जीवित रखना सभी की साझा जिम्मेदारी है. उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि वर्तमान सरकार ने इस जिम्मेदारी को विनम्रता के साथ निभाया है और भगवान बुद्ध के करोड़ों अनुयायियों को संबोधित करने का प्रयास कर रही है.

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि देश अब उस हीन भावना से आगे बढ़ रहा है और बड़े फैसले ले रहा है. उन्होंने कहा कि एक तरफ पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला तो दूसरी तरफ मराठी भाषा को भी वही सम्मान दिया गया. बाबा साहेब अंबेडकर जिनकी मातृभाषा मराठी थी, वे भी बौद्ध धर्म के बड़े समर्थक थे और उन्होंने पाली में ही धम्म दीक्षा ली थी.

एफएम/केआर