रामल्लाह, 14 मार्च . फिलिस्तीन, जॉर्डन और मिस्र ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस फैसले का स्वागत किया है, जिसमें उन्होंने गाजा पट्टी से 20 लाख से ज्यादा फिलिस्तीनियों को हटाने की अपनी पहले की योजना से पीछे हटने की बात कही है.
फिलिस्तीनी समाचार एजेंसी वाफा के अनुसार, उप प्रधानमंत्री और सूचना मंत्री नबील अबू रुदैनेह ने इसे एक “सकारात्मक कदम” और “सही दिशा” में बढ़ता फैसला बताया. उन्होंने उम्मीद जताई कि यह फैसला अंतरराष्ट्रीय कानून और अरब शांति पहल के आधार पर एक राजनीतिक समाधान की ओर ले जाएगा.
न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, अबू रुदैनेह ने इस बात पर भी जोर दिया कि फिलिस्तीन और अरब देशों के बीच समन्वय जारी रहना जरूरी है. उन्होंने कहा कि इससे गाजा के पुनर्निर्माण के लिए एक अरब-नेतृत्व वाली योजना को समर्थन मिलेगा और 1967 की सीमा के आधार पर पूर्वी यरुशलम को राजधानी बनाकर एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना की दिशा में राजनीतिक प्रक्रिया आगे बढ़ेगी.
गुरुवार को हमास ने भी कहा कि यदि ट्रंप गाजा के लोगों को हटाने की योजना छोड़ते हैं, तो यह स्वागत योग्य होगा.
हमास के प्रवक्ता हाजेम कासेम ने एक बयान में ट्रंप से अपील की कि वे इस फैसले को मजबूत करें और इजरायल को युद्धविराम समझौते की सभी शर्तों का पालन करने के लिए बाध्य करें.
उधर, जॉर्डन के विदेश मंत्रालय ने भी ट्रंप के इस रुख का समर्थन किया और क्षेत्र में शांति प्रयासों के प्रति अपने संकल्प को दोहराया. मंत्रालय के प्रवक्ता सुफियान कुदाह ने कहा कि न्यायपूर्ण और स्थायी शांति के लिए प्रयास जरूरी हैं और दो-राज्य समाधान ही सुरक्षा, स्थिरता और शांति का एकमात्र रास्ता है.
मिस्र के विदेश मंत्रालय ने भी ट्रंप के बयान की सराहना करते हुए कहा कि गाजा के लोगों को विस्थापित न करने की उनकी बात यह दर्शाती है कि वहां की गंभीर मानवीय स्थिति को और खराब होने से बचाने की जरूरत को समझा जा रहा है. इसके अलावा, यह भी जरूरी है कि फिलिस्तीन समस्या का एक निष्पक्ष और टिकाऊ समाधान निकाला जाए.
बुधवार को व्हाइट हाउस में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान ट्रंप ने कहा था, “कोई भी गाजा से फिलिस्तीनियों को बाहर नहीं निकाल रहा है.”
फरवरी की शुरुआत में ट्रंप ने “गाजा रिवेरा” नाम की एक योजना का प्रस्ताव रखा था, जिसमें गाजा पर अमेरिका का नियंत्रण, वहां के निवासियों को हटाने और इसे मिडिल ईस्टर्न रिवेरा में बदलने की बात शामिल थी. इस योजना की मध्य पूर्व समेत दुनियाभर में व्यापक आलोचना हुई थी.
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