पाकिस्तान की ‘ट्रांसनेशनल रिप्रेशन’ मुहिम: विरोधियों को चुप कराने की कोशिशें

इस्तांबुल, 1 अगस्त . पाकिस्तान में असंतुष्टों, विशेष रूप से यूनाइटेड किंगडम (यूके) में, को निशाना बनाकर ट्रांसनेशनल रिप्रेशन (टीएनआर) का बढ़ता अभियान देखा जा रहा है. इसमें उत्पीड़न, धमकी, शारीरिक हिंसा और इंटरपोल ‘रेड नोटिस’ का दुरुपयोग शामिल है. Friday को जारी एक रिपोर्ट में यह बताया गया है.

ब्रिटिश संसद की मानवाधिकार संबंधी संयुक्त समिति की अंतरराष्ट्रीय दमन पर एक रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी सरकारें ब्रिटेन में राजनीतिक विरोधियों पर लगाम कसने में लगी हैं. इसमें कहा गया है कि 2022 से पाकिस्तान उन देशों में से एक है जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय दमन (टीएनआर) को और तेज कर दिया है. यूके की खुफिया एजेंसी एमआई5 ने बताया है कि इस तरह के खतरों में 48 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.

समिति के अध्यक्ष लॉर्ड एल्टन ने आगाह किया कि टीएनआर ब्रिटेन की अपने नागरिकों और सुरक्षा चाहने वालों के मानवाधिकारों की रक्षा करने की क्षमता को कमजोर कर रहा है. यह जानकारी ग्लोबल पॉलिसी रिसर्च संस्था ‘जियोपोलिस्ट’ की एक रिपोर्ट में दी गई है.

पाकिस्तान के वर्तमान शासन को बार-बार निर्वासित आलोचकों को चुप कराने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है.

रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है, “क्या अब यूके इस्लामाबाद को जवाबदेह ठहराएगा? रिपोर्ट में बताया गया है कि 2016 में पाकिस्तान ने ‘प्रिवेंशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक क्राइम्स एक्ट (पीईसीए’ कानून बनाया था, जिसका मकसद हैकिंग, डेटा चोरी, ऑनलाइन जबरन वसूली, ऑनलाइन उत्पीड़न और गलत जानकारी फैलाने जैसे मुद्दों से निपटना था.”

जनवरी 2025 में, इस कानून में संशोधन किया गया, जिससे अधिकारियों को कथित रूप से गलत सूचना फैलाने के लिए पत्रकारों को गिरफ्तार करने, उन पर आरोप लगाने और उन्हें जेल में डालने का अधिकार मिल गया. इसके अतिरिक्त, “मानहानि और झूठी खबरें फैलाने” के लिए भारी जुर्माने और दंड लागू हो गए. रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि ये कठोर कानून अब पाकिस्तान की सीमाओं को पार कर गए हैं.

रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि ब्रिटेन में निर्वासित पाकिस्तान के डॉक्यूमेंट्री निर्माता और मानवाधिकार कार्यकर्ता रोशन खट्टक ने पाकिस्तानी सरकार द्वारा की जा रही अनियमितताओं और मानवाधिकारों के हनन की सार्वजनिक रूप से निंदा की है. बलूचिस्तान में जबरन गायब किए गए लोगों पर उनके रिसर्च ने पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) को नाराज कर दिया. यूके में रहते हुए उन्हें धमकी भरे मैसेज भी मिले थे.

एससीएच/एएस