‘यूएन मंच पर पाकिस्तान की असलियत की जाए उजागर’, शफी बुरफात का वैश्विक नेताओं को पत्र

बर्लिन, 23 सितंबर . जेय सिंध मुत्तहिदा महाज (जेएसएमएम) के अध्यक्ष शफी बुरफात ने वैश्विक समुदाय को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने Pakistan पर आरोप लगाया है कि वह पिछले कई दशकों से वहां की स्थानीय जातियों और समुदायों (सिंधी, पश्तून, बलूच, सराईकी और ब्राहुई) के साथ अन्याय कर रहा है.

उन्होंने कहा कि Pakistan इन समुदायों को धार्मिक एकता के नाम पर दबाता है, हाशिए पर डालता है और उनके Political अधिकारों को कुचलता रहा है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 80वें सत्र में हिस्सा लेने वाले वैश्विक नेताओं को बुरफात ने पत्र में लिखा, “जब Pakistan के Prime Minister और अन्य प्रतिनिधि संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में भाग लेने जा रहे हैं, तो दुनिया को Pakistan की सच्चाई पर सवाल उठाना चाहिए. यह देश धर्म के नाम पर धोखे और हेरफेर से अपने ऐतिहासिक समुदायों को दबाकर बनाया गया है.”

उन्होंने आरोप लगाया कि Pakistanी अधिकारी इन ‘मूलवासियों’ पर कठोर Political दमन, आर्थिक शोषण, सांस्कृतिक विनाश, जनसांख्यिकीय हेरफेर और गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों को अंजाम दे रहे हैं. जेएसएमएम नेता का दावा है कि Pakistan वास्तव में एक प्रमुख जाति (पंजाबियों) के हितों की सेवा करने वाला राज्य है.

उन्होंने कहा, “Pakistanी सेना, खुफिया एजेंसियां और कूटनीतिक दल मुख्य रूप से पंजाबी हैं. इनका 99 प्रतिशत से अधिक हिस्सा इसी एक समूह को Political और सामाजिक रूप से हावी बनाए रखता है.

उन्होंने लिखा, “सत्ता का यह सारा केंद्र एक ही जाति के हाथों में है, जिससे Pakistan एक ऐसा तंत्र बन गया है, जो बाकी सभी ऐतिहासिक समुदायों को आधुनिक गुलामी और Political दमन में धकेलता है. जो लोग धर्मनिरपेक्ष राजनीति, राष्ट्रीय आंदोलन या सामाजिक न्याय की बात करते हैं, उन्हें Government द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है.”

पत्र में कहा गया कि Political कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और social media एक्टिविस्टों को अक्सर सेना और राज्य एजेंसियां गिरफ्तार करती हैं. उन्हें गुप्त ठिकानों पर यातनाएं दी जाती हैं, और कभी-कभी उनके यातनापूर्ण और जले हुए शव दूरदराज के इलाकों में फेंक दिए जाते हैं. साथ ही, इन राष्ट्रों की सांस्कृतिक विरासत, भाषाएं और इतिहास को जानबूझकर तोड़ा-मरोड़ा या मिटाया जा रहा है, जो राज्य प्रायोजित तानाशाही और क्रूरता का अभियान है.

उन्होंने वैश्विक समुदाय से अपील की कि Pakistan को ‘ऐतिहासिक निवासियों के अधिकारों, संस्कृति और अस्तित्व के लिए खतरा’ माना जाए. उन्होंने चेतावनी दी कि बिना जवाबदेही के Pakistan को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जगह देना दमन, शोषण और आतंक पर आधारित व्यवस्था को वैधता देना है.

उन्होंने यूएन महासभा के नेताओं और सदस्य देशों से अंतरराष्ट्रीय न्याय, मानवाधिकार और राष्ट्रों के बीच समानता के सिद्धांतों का पालन करने को कहा. इसके साथ ही, उत्पीड़ित राष्ट्रों की स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय की जायज लड़ाई का समर्थन करने की मांग की.

जेएसएमएम नेता ने यह भी कहा कि Pakistan को उसके अपराधों चरमपंथी आतंकवादियों को समर्थन, प्रशिक्षण और राज्य नीति के तहत क्षेत्र में तैनाती के कारण किसी भी विश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय मंच पर बोलने से रोक दिया जाना चाहिए.

एफएम/एबीएम