पाकिस्तानी आवाम कर रही त्राहिमाम, चीनी और रोटी की बढ़ी कीमतों से परेशान

कराची, 9 सितंबर . पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान बाढ़ की चपेट में है. देश में कई टेरर आउटफिट्स नाक में दम किए हुए हैं और कुर्सी की लड़ाई में हुक्मरान आवाम को नजरअंदाज भी बड़े कायदे से कर रहे हैं. देश अब रोटी को मोहताज हो रहा है. पाकिस्तानी मीडिया इसकी तस्दीक कर रही है.

हाल ही में देश में चीनी की कीमतों में उछाल ने लोगों को परेशान किया और पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में उपभोक्ताओं को अब आटे और रोटी की बढ़ी हुई कीमतों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि गेहूं और आटे की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं.

पाकिस्तानी दैनिक डॉन के मुताबिक कराची में, तंदूर संचालकों ने विभिन्न प्रकार की रोटियों की कीमतों में करीब 2 रुपये प्रति पीस की वृद्धि की है. अनुमान है कि इसका मुख्य रूप से निम्न और मध्यम आय वर्ग (विशेष रूप से दिहाड़ी मजदूरों और श्रमिक वर्ग) पर असर पड़ेगा, जो आमतौर पर स्थानीय भोजनालयों में खाना खाते हैं.

यह रिपोर्ट बताती है कि ब्रांडेड आटे की कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ है. कुछ मिल मालिकों ने पांच किलोग्राम के मैदे के बैग की कीमत 700 रुपये तक कर दी है, जो 1 अगस्त को 500 रुपए और 1 सितंबर को 600 रुपए थी. वो भी तब जब इस साल की शुरुआत में नई गेहूं की फसल आ गई थी.

कालाबाजारी चरम पर है. खुदरा विक्रेताओं की रिपोर्ट है कि बड़े व्यापारी पुराने आटे के स्टॉक की बढ़ती मांग का फायदा उठाकर कीमतों में वृद्धि से लाभ उठा रहे हैं.

कुछ बाजार विश्लेषकों का मानना ​​है कि मौजूदा गेहूं संकट का पंजाब (पाकिस्तान) और अन्य क्षेत्रों में हाल ही में आई बाढ़ से कोई संबंध नहीं है, क्योंकि नई गेहूं की फसल मार्च/अप्रैल में काटी गई थी. हालांकि, जमाखोरों, स्टॉकिस्टों और निवेशकों ने स्थिति का ‘लाभ’ उठाते हुए कीमतें बढ़ा दीं.

ऑल सिंध शीरमाल तंदूर रोटी एसोसिएशन के सदस्य सलमान मियां आराईन ने डॉन के हवाले से बताया कि तंदूर संचालक, जो पहले नान (वजन 180 ग्राम) 22 और 23 रुपये प्रति पीस बेचते थे, अब उनकी कीमत 25 रुपये कर दी गई है. इसके अलावा, चपाती की कीमत 2 रुपये बढ़कर 11-12 रुपये से बढ़कर 14-15 रुपये हो गई है.

वहीं चीनी का स्वाद भी बिगड़ गया है. इसकी कीमतें 180 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 200 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं और 16 किलोग्राम घी के टिन की कीमत हाल के महीनों में 6,500 रुपये से बढ़कर 7,900 रुपये हो गई है.

पाक की इकोनॉमी हमेशा डगमग रही है. सियासतदां ऐशो आराम में डूबे रहते हैं, तो जनता खुद को समेटते हुए आगे बढ़ती है. इस देश की अर्थव्यवस्था बेलआउट पैकेज के सहारे वर्षों से चलती आ रही है.

आईएमएफ (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) (मई माह का डेटा) के मुताबिक, पाकिस्तान की जीडीपी 2.6 प्रतिशत की दर से बढ़ी और अब इसका साइज करीब 373.08 बिलियन डॉलर है. राजनीतिक अस्थिरता, बढ़ती महंगाई और खराब विदेशी कर्ज हालात जैसे फैक्टर पाकिस्तान की इकोनॉमी पर बड़ा धब्बा हैं.

केआर/