इस्लामाबाद, 9 अप्रैल . पाकिस्तान ने 11,371 अफगान शरणार्थियों को तोरखम सीमा के जरिए जबरन अफगानिस्तान वापस भेज दिया. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मंगलवार को 3,669 से अधिक अफगान शरणार्थियों को सीमा पार भेजा गया.
सरकार के शरणार्थियों को वापस भेजने के फैसले की वजह से बड़ी संख्या में अफगानी प्रभावित हुए हैं. अफगान शरणार्थी पाकिस्तान में दशकों से रह रहे हैं और इनमें ऐसे लोगों की संख्या भी शामिल है जिनका जन्म भी यहीं हुआ और वह कभी अफगानिस्तान नहीं गए.
31 मार्च को समय सीमा समाप्त होने के बाद, पूरे देश में अफगान शरणार्थियों पर कार्रवाई की जा रही है. पुलिस और जिला प्रशासन की टीमें अभियान चला रही हैं.
कुछ निर्वासित लोगों ने कहा कि उन्हें काम करते समय पाकिस्तानी पुलिस ने गिरफ्तार किया और अफगानिस्तान भेज दिया जबकि उनका परिवार पीछे छूट गया.
अफगान मीडिया आउटलेट टोलो न्यूज ने निर्वासित गुल मोहम्मद के हवाले से बताया, “मैं फल बाजार में एक छोटा सा होटल व्यवसाय चलाता था. पुलिस ने मुझ पर छापा मारा, मुझे खैबर पख्तूनख्वा के हाजी कैंप में चार रातों तक हिरासत में रखा और अब मुझे तोरखम के रास्ते निर्वासित कर दिया है.”
देश के प्रमुख दैनिक ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ के अनुसार, रावलपिंडी में अफगान दुकानदारों ने अपना सामान बेचने में लगे और अपनी दुकानें बंद कर रहे हैं. इनमें से कई गायब हो गए हैं.
शहर के विभिन्न क्षेत्रों में कई अफगानियों की दुकानें या तो बंद हो गई हैं या बेच दी गई हैं. शहर और छावनी में कई प्रसिद्ध अफगान होटल अब चालू नहीं हैं.
अफगानिस्तान के शरणार्थी एवं प्रत्यावर्तन मामलों के मंत्रालय ने मंगलवार को एक कड़ा बयान जारी किया पाकिस्तान से अफगान शरणार्थियों के जबरन निर्वासन की निंदा की. इसमें वापसी की प्रक्रिया को इस्लामी सिद्धांतों, मानवीय मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया.
मंत्रालय ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि शरण मांगने वाले अफगान परिवारों की भलाई के लिए भी नुकसानदायक है.
बयान में कहा गया, “अफगानिस्तान इन शरणार्थियों की सुरक्षित वापसी की तैयारी कर रहा है और अपील करता है कि उन्हें अपनी संपत्ति अपने साथ वापस लाने की अनुमति दी जाए.”
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