क्वेटा, 24 अगस्त . क्वेटा की एंटी टेररिज्म कोर्ट (एटीसी) ने बलोच यकजेहती कमेटी (बीवाईसी) के नेताओं की फिजिकल रिमांड को 15 दिनों तक बढ़ा दिया है. इनमें प्रमुख कार्यकर्ता महरंग बलोच भी शामिल हैं, जो पहले ही कस्टडी में हैं.
‘द बलोचिस्तान पोस्ट’ के मुताबिक, Friday को अदालत के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए महरंग बलोच ने आरोप लगाया कि राज्य Government लोगों को डराने के लिए बीवाईसी नेताओं को जेल में डाल रही है.
महरंग बलोच ने कहा, “लोगों को जेल में बंद करने से यह आंदोलन नहीं रुकेगा. जेल की दीवारें चाहे कितनी भी मजबूत क्यों न हों, एक मां के धैर्य के आगे कुछ भी नहीं.”
महरंग ने बताया कि हर बार जब वह अदालत में पेश होती हैं, तो Government का वकील रिमांड बढ़ाने की अर्जी दाखिल करता है. महरंग ने इसे न्यायिक व्यवस्था की हकीकत बताते हुए कहा, “आज यही कानून लोगों को सीटीडी (काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट) की हिरासत में 90 दिनों तक रखने के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.”
महरंग के मुताबिक अदालतें अब तक गुमशुदा बलोच और पश्तून लोगों की तलाश नहीं कर पाई हैं. उन्होंने कहा, “हमने यह संघर्ष सड़कों से शुरू किया और इसे अदालतों तक ले गए. यही अदालतें, जिनमें गुमशुदा बलोच और पश्तून लोगों से जुड़े हजारों मामले लंबित हैं.”
बलोच कार्यकर्ता ने चेतावनी दी है कि राज्य Government जनता के खिलाफ जाकर कायम नहीं रह सकती. उन्होंने कहा, “यह एक असफल राज्य है. यह समझना जरूरी है कि जनता के खिलाफ जितनी ज्यादा हिंसा होगी, उतना ही मजबूत प्रतिरोध होगा.”
उन्होंने लोगों से अपने अधिकारों के लिए लड़ने की अपील करते हुए कहा, “हमारा आंदोलन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक संदेश है. जनता को अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना होगा. जो हमें दबाने या कमजोर करने की कोशिश करते हैं, असल में वही कमजोर हैं.”
महरंग के अनुसार बलूचिस्तान के लोग न्याय और सच्चाई के लिए लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा, “हम न्याय और सच्चाई के लिए लड़ रहे हैं.”
इस बीच, नेशनल पार्टी से जुड़े Political और मानवाधिकार कार्यकर्ता अब्दुल गफार कम्ब्रानी को चार महीने की नजरबंदी के बाद क्वेटा में रिहा कर दिया गया. उन्हें 6 अप्रैल को Police और अर्धसैनिक बलों की छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया गया था.
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आरएसजी/केआर