स्मृति शेष: खय्याम, जिनके लिए संगीत का मतलब सुर नहीं रूह था, ‘उमराव जान’ एक मिसाल
New Delhi, 18 अगस्त . अगर खय्याम न होते तो क्या होता? ये सवाल अकसर अच्छी मौसिकी (संगीत) के मुरीद ही नहीं बल्कि उनके संगीतबद्ध गजलों नज्मों पर थिरकने वाली उमराव जान यानी रेखा भी शिद्दत से महसूस करती हैं. तभी तो एक शो में उन्होंने कहा था ‘अगर खय्याम न होते तो उमराव जान … Read more