राहत से ‘इंदौरी’ बनने का मुश्किल सफर, साइन बोर्ड से महफिल तक ऐसे मिली पहचान
New Delhi, 10 अगस्त . ‘मैं मर जाऊं तो मेरी एक अलग पहचान लिख देना, लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना’ हो या फिर ‘नए किरदार आते जा रहे हैं, मगर नाटक पुराना चल रहा है.’ ये राहत इंदौरी के वो शेर हैं, जो उनके बेबाक तेवर और गहरे जज्बातों की मिसाल हैं. … Read more