हमारा संघर्ष वक्फ संपत्तियों की रक्षा के लिए है : इमरान मकसूद

Bengaluru,15 सितंबर . Supreme court ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम के कुछ प्रमुख प्रावधानों पर आंशिक रोक लगाने का आदेश दिया है. जुम्मा मस्जिद के मुख्य इमाम मौलाना इमरान मकसूद ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया.

जुम्मा मस्जिद के मुख्य इमाम मौलाना इमरान मकसूद ने से कहा कि हमारी लड़ाई Government के खिलाफ नहीं है, हमारा संघर्ष वक्फ संपत्तियों की रक्षा के लिए है. इससे पहले भी तब्दीली हुई है. हालांकि तब जो बदलाव हुए, वे वक्फ की हिफाजत के लिए थे, लेकिन अब जो भी बदलाव Government लाई है, उससे वक्फ कमजोर हो जाएगा.

मकसूद ने कहा कि वक्फ व्यवस्था सदियों पुरानी है, और ये बदलाव संपत्तियों को कमजोर करेंगे. Supreme court के अंतरिम फैसले से जो चीजें सामने आई हैं, हम सुकून महसूस कर सकते हैं. हम अच्छे फैसले की ओर देख रहे हैं. उन्होंने इसे जीत का मसला नहीं बताया, बल्कि वक्फ संपत्तियों की रक्षा के लिए एक कदम माना.

उन्होंने इस बात पर ऐतराज जताया कि इसे किसी एक समुदाय की जीत के तौर पर नहीं देखना चाहिए. इसमें किसी की जीत-हार नहीं हुई है.

मकसूद ने Supreme court के उस फैसले का समर्थन किया, जिसमें कलेक्टर को वक्फ संपत्ति को Governmentी घोषित करने या विवादों में अंतिम निर्णायक बनाने की शक्ति पर रोक लगाई गई.

उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति को 5 वर्ष तक इस्लाम का अभ्यासकर्ता साबित करने की शर्त पर कोर्ट ने रोक लगाई. कोर्ट ने हमारी दलीलों को सुना, समझा और कहा कि लोग अपनी जायदाद को दे सकते हैं. कोर्ट ने इस शर्त को भेदभावपूर्ण और बिना जांच तंत्र के मनमानी बताया.

उन्होंने वक्फ की हिफाजत का जिक्र करते हुए कहा कि वक्फ अल्लाह की जायदाद है. इसकी हिफाजत के लिए बेहतर क्या हो सकता है, उसके लिए हमने Government के सामने अपनी बात रखी, जब वह नहीं माने तो हम कोर्ट गए. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि कोर्ट का आगे जो फैसला होगा, वह वक्फ की हिफाजत में ही होगा.

डीकेएम/एएस