ली-आयन बैटरियों की हमारी रिसाइकलिंग दर 98 प्रतिशत से अधिक, दुनिया में सर्वश्रेष्ठ : एटेरो के सीईओ

नई दिल्ली, 24 जून . भारत की सबसे बड़ी एंड-टू-एंड ई-वेस्ट मैनेजमेंट और दुनिया की श्रेष्ठ ली-आयन बैटरी रीसाइक्लिंग कंपनी एटेरो के सह-संस्थापक और सीईओ नितिन गुप्ता ने सोमवार को कहा कि कंपनी की बैटरी से महत्वपूर्ण सामग्रियों को निकालने की दर 98 प्रतिशत से अधिक है.

के साथ बातचीत के दौरान गुप्ता ने बताया, “हम कोबाल्ट, लिथियम कार्बोनेट, ग्रेफाइट और निकेल जैसी शुद्ध बैटरी-ग्रेड सामग्री निकालने के लिए एक व्यापक यांत्रिक और हाइड्रोमेटेलर्जिकल दृष्टिकोण के साथ काम करते हैं. इसकी रिकवरी दर 98 प्रतिशत से अधिक है. कंपनी का यह असाधारण प्रदर्शन दुनिया की अन्य कंपनियों से बेहतर है. आमतौर पर उनकी रिकवरी दर 75 प्रतिशत से कम होती है.”

गुप्ता ने कहा, एटेरो में, लिथियम-आयन रीसाइक्लिंग प्रक्रिया इस परिवर्तन का एक प्रमुख उदाहरण है. यह वर्जिन धातुओं के निष्कर्षण की तुलना में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 97 प्रतिशत या उससे अधिक की उल्लेखनीय कमी प्रदर्शित करती है.”

एटेरो भारत में एकमात्र इकाई के रूप में उभर कर सामने आई है. यह ब्लैक मास के पूर्ण प्रसंस्करण और शोधन के संचालन में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ कंपनियों में से एक है. एटेरो अन्य कंपनियों को ब्लैक मास का निर्यात या आपूर्ति नहीं करती है. इसके बजाय, कंपनी अपने ग्राहकों के लिए ब्लैक मास को बैटरी-ग्रेड सामग्री में परिष्कृत कर रीसाइक्लिंग प्रक्रिया से मूल्य को अधिकतम करने पर ध्यान केंद्रित करती है.

एटेरो लिथियम कार्बोनेट निकालने के लिए दुनिया में सबसे कम खर्च का दावा करता है. यह प्रति टन मात्र 3,200 डॉलर है.

यह बैटरी रीसाइक्लिंग क्षेत्र में उद्योग मानकों की तुलना में 40 प्रतिशत सस्ता है. इसकी तुलना में, पारंपरिक हाइड्रो प्रक्रिया के लिए न्यूनतम खर्च 5,500 डॉलर प्रति टन है. पाइरो प्रक्रिया के लिए, यह अन्य कंपनियों के लिए 10,000 डॉलर प्रति टन तक बढ़ जाता है. एटेरो का परिचालन व्यय भी विश्व स्तर पर सबसे कम है. यह सभी प्रकार की एक्सपायर ली-आयन बैटरियों को रीसाइकिल करता है.

कंपनी के पास वर्तमान में 15,000 मीट्रिक टन की लिथियम-आयन बैटरी रीसाइक्लिंग क्षमता है. इसका लक्ष्य न केवल देश में, बल्कि दुनिया भर में और अधिक रीसाइक्लिंग प्लांट बनाना है.

अगले चार वर्षों में, कंपनी का लक्ष्य 300,000 मीट्रिक टन लिथियम-आयन बैटरियों की वैश्विक वार्षिक शोधन क्षमता हासिल करना है.

गुप्ता ने कहा, “हमारे पास भारत में विकसित नासा द्वारा अनुमोदित रीसाइक्लिंग तकनीकों पर 45 से अधिक स्वीकृत वैश्विक पेटेंट हैं. ये पेटेंट अमेरिका, यूरोप और एशिया में है. इनमें चीन, जापान और भारत शामिल हैं. कई अन्य ने इसके लिए आवेदन किया है.”

एटेरो की कार्बन क्रेडिट पद्धति संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनुमोदित है. यह इस तथ्य पर आधारित है कि एटेरो की प्रक्रियाओं में एक्सपायर होने पर लिथियम-आयन बैटरी से शुद्ध तांबा, शुद्ध कोबाल्ट, शुद्ध लिथियम कार्बोनेट और ग्रेफाइट निकालने के लिए ऊर्जा की मात्रा शामिल है.

इस पर प्रकाश डालते हुए, सीईओ ने कहा कि कंपनी अगले 18 से 24 महीनों में भारतीय बाजार में आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) लाने पर विचार कर सकती है. गुप्ता ने कहा कि कंपनी अपने कारोबार को वर्तमान में 1,000 करोड़ से बढ़ाकर हर साल 100 प्रतिशत वृद्धि करने पर काम कर रही है.

उन्होंने कहा, “एटेरो इस साल लगभग 1,000 करोड़ राजस्व वाली कंपनी है. हम पहले से ही वार्षिक रन रेट और लाभदायक नकदी प्रवाह के विकास पथ पर हैं और हर साल 100 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं.”

देश में अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई नई इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति के बारे में पूछे जाने पर, गुप्ता ने कहा कि यह एक बेहतरीन नीति है और यह पूरे ईवी क्षेत्र को आगे बढ़ाएगी.

उन्होंने कहा, “देश में ईवी क्षेत्र पहले से ही बढ़ रहा है और यह नई नीति ‘मेक इन इंडिया’ पहल के लिए अच्छी होगी और यह सुनिश्चित करेगी कि भारत दुनिया में ईवी विनिर्माण को केंद्र बने.”

एटेरो का वर्तमान परिचालन संयंत्र उत्तराखंड के रुड़की में है और यह देश में बैटरी रीसाइक्लिंग के लिए लगभग 10,000 टन प्रति वर्ष की प्रारंभिक क्षमता पर एक और संयंत्र बनाने की प्रक्रिया में है. कंपनी पोलैंड में एक संयंत्र बनाने और अमेरिका में एक संयंत्र के लिए जगह को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में भी है.

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