लखनऊ, 18 फरवरी . उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा है कि सदन बाधित नहीं हुआ, जितना चलना चाहिए, उतना चला है. हमारा अंग्रेजी भाषा से कोई विरोध नहीं है. लेकिन, कार्यवाही में क्षेत्रीय भाषा को प्राथमिकता देनी चाहिए.
नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने मंगलवार को विधानसभा में अंग्रेजी भाषा पर हुए विवाद के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि सत्तारूढ़ दल का अपना एजेंडा है. उनके एजेंडे में हिंदू-मुस्लिम है. जब बात करेंगे तो इसी पर करेंगे. हम लोग अंग्रेजी भाषा के विरोधी नहीं हैं. अंग्रेजी खूब पढ़ो, उनके साहित्यकार के बारे में भी खूब पढ़ो. लेकिन, हिंदी, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी भाषा भी बोली जाए. गांव क्षेत्र का आदमी अंग्रेजी भाषा को कैसे समझ पाएंगे?
उन्होंने सवाल किया कि अंग्रेजी भाषा में सदन की कार्यवाही गांव में कौन समझेगा?, मैंने उसी का विरोध किया. मैंने सुझाव दिया कि इसे उर्दू कर दें या फिर संस्कृत कर दें. यही बात मैंने कही. उन्हें जबरदस्ती अपनी बात कहनी थी. उसी में कठमुल्ला जैसे शब्द भी आ गए.
उन्होंने कहा कि जब मैं बोल रहा था तब मेरी माइक बंद कर दी गई. यह तो तानाशाही रवैया है. यूपी हिंदी भाषी प्रदेश है. हमारे संविधान निर्माताओं ने हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने का प्रण लिया था. उसे पूरा करने की जिम्मेदारी हिंदी भाषी प्रदेशों की है. यहां हिंदी नहीं बोली जाएगी तो क्या तमिलनाडु में बोली जाएगी? मैंने विरोध किया, मैंने अंग्रेजी भाषा का विरोध नहीं किया. अंग्रेजी भाषा का कार्यवाही में प्रयोग होने का विरोध किया.
उन्होंने बजट के बारे में कहा कि वह आएगा तो पता चलेगा कि कितना कल्याणकारी है. पहले के बजट से कुछ कल्याण हुआ. आज वही काम हो रहे हैं, जो अखिलेश यादव करके गए. इन्होंने कोई भी नया काम नहीं किया है. सपा की सरकार में लखनऊ में इकाना, लोकभवन, कैंसर हॉस्पिटल बनवाया गया.
नेता प्रतिपक्ष ने महाकुंभ की व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि श्रद्धालु 15 से लेकर 70 किलोमीटर तक पैदल चलकर नहाने जा रहे हैं. उन्हें तीन-तीन दिन जाम में फंसना पड़ रहा है. लोगों को सड़कों में रुकना पड़ रहा है. इन्होंने अपने संकल्प पत्र में कहा था कि विश्वस्तरीय व्यवस्था करेंगे. वह कहां है? कितने लोग दब के मर गए, ट्रेन में लोग मर जाएं, सड़क जाम है, तीन दिन लोग परेशान रहे, क्या यही विश्वस्तरीय व्यवस्था है?
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विकेटी/एबीएम